Wednesday 10 December 2014

उलट फेर
इक वन में हुआ उलट फेर
वहां न था एक भी शेर
रंगा सियार शेर सा बोला
उसको सुन सब का मन डोला
“ मैंने नवेला रूप है पाया
यह जंगल है मेरे मन भाया
मैं ही हूँ शेर, यह तुम जानो  
मुझको अब अपना राजा मानो”
हर एक का दिल काँप गया  
सब ने झुक कर प्रणाम किया
लेकिन हाथी बहुत चतुर था
सियार की चालाकी भांप गया था
बहुत ज़ोर हाथी चिल्लाया
 “भागो-भागो, शेर है आया”
डर से सियार की बंद गई घिग्घी
 दुम दबा कर तब भागा पाजी
                                                                  © आई बी अरोड़ा 

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       चूहे ने पाली बिल्ली 

5 comments:

  1. पोल खुल गयी ! बढ़िया बाल कविता

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  2. Ha ha, Bahut Khub Arora sir :)

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  3. Reminds me of my childhood. What fun!

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