Wednesday 29 October 2014

चूहे का सपना
इक चूहे ने देखा सपना
देखा उसका घर है अपना
घर क्या था अजब का खेल
उसका था न कोई मेल
फ़र्श बना था बर्फ़ी का
मीठा-मीठा महक रहा था
छत पर बिस्कुट लगे हुए थे
वह भी खूब धमक रहे थे
कुछ दीवारें थीं चाकलेट की
कुछ दीवारें थीं मिसरी की   
देख सब चूहा चकराया
मुंह में उसके पानी भर आया
दौड़ इधर से उधर गया वो
छत को थोड़ा कुतर गया वो
चट कर डाली इक दीवार
फर्श भी थोड़ा गटक गया वो  
भरा पेट तब लगा कूदने
घर उसका तब लगा टूटने
पर घर टूटा तो आया रोना
टूट गया तब उसका सपना

© आई बी अरोड़ा















Sunday 26 October 2014

दीवाली


ऊंचे पर्वत की चोटी से
सैनिक ने देखा चारों ओर,
मन में उसके गूंज रहा था
अपने दोनों बच्चों का शोर.

बच्चों ने कहा था बड़े प्यार से,  
“हम संग रहेंगे सब इस बार,
दीवाली मनाएंगे सब मिलकर  
मिल जाये खुशियों का अंबार. 

पिछली होली और दीवाली
हम सब थे बहुत उदास,

घर था कितना खाली-खाली

आप न थे हम सब के पास.

 पर अब ऐसा नहीं चलेगा
आप को कुछ तो करना होगा,
घर आना ही है अब की बार
विनती करते है बारंबार.”

पर सैनिक लौट न पाया
सीमा पर था संकट छाया,
बच्चों की जब टूटी आशा
उनका मन भर सा आया.

माँ थी उनकी बहुत सुजान 
पति पर था उसे अभिमान,  
बच्चों को उसने पास बिठाया
बड़े प्यार से फिर समझाया,  

“पिता तुम्हारे हैं सीमा पर
देश की रक्षा करते डटकर,
  सब करते उनका सम्मान   
उन पर करो तुम अभिमान.

 सैनिक रहते चौकस हर पल
उनका बलिदान न जाता निष्फल,
चैन से सो पाते हम हर रात
 सतर्क है हर सैनिक दिन रात.

खूब मनाओ तुम दीवाली
मन पर रखो न कोई भार,
मैं कहती हूं बिलकुल सच
पिता तुमसे करते बहुत प्यार.”

बच्चों ने किया खूब धूम धड़ाका
चलने लगे  फूलछड़ी पटाखा,
सीमा पर सैनिक मुसकाया
जीवन में क्या-क्या न पाया.

© आई बी अरोड़ा 

Monday 20 October 2014

Baby in a Pram


A baby was sleeping 
in a pram
the pram slipped 
in front of a van.

The van was speeding 
like a rail
  there were prisoners 
from a jail.

 The prisoners were 
a nasty lot
 they were angry 
at being caught.



 There was an officer
in the van
he was shocked to 
see the pram.

 At the driver 
did he shout
and the driver was 
quite stout.

The driver tried to 
stop the van
 but his efforts 
were in vain

Van rushed and 
didn't jam
in a flash
it hit the pram.



The burly officer 
screamed in alarm,
 but the baby 
didn’t come to harm.

The baby had slipped 
from the pram,
and was following 
a silly ma’am.

All the  prisoners 
liked this jam
for them it was 
time to scram.

The burly officer 
lost his cool,
 he had never 
broken a rule.

 He beat the prisoners 
into a pile,
he could break rules 
once a while.
© i b arora

Friday 17 October 2014

पर्वत और बादल


दिन की धूप थी अलसायी
पर्वत के मन थी वह भायी
नर्म-नर्म हवा की लहरें
बस आँखों में नींद भर आई

 पर्वत सोया ही था कि
आकाश में बादल गिर आये
कुछ काले कुछ मटमैले
पर सब हौले-हौले आये

वर्षा की नन्हीं बूंदों ने
पर्वत को छुआ धीरे से
आँख खुली तो आँख धुली
पर्वत ने पूछा बादल से

“तुम भी अजब घुमक्कड़ हो
कोई न देखा तुम सा मैंने
कब तुम आते कब तुम जाते
न मैं जानु न कोई जाने”

“तुम से कहूं क्या मैं भाई
बड़ी अजब है मेरी गाथा
मैं कब आता मैं कब जाता
मैं ही निश्चित न कर पता

“मेरा आना मेरा जाना
मेरा रुकना मेरा चलना
नहीं है कुछ निर्भर मुझ पर
 मैं तो हूँ बस वायु पर निर्भर”

इतना कह बादल खिसका
वेग हुआ था वायु का तीखा
पर्वत मन ही मन मुस्काया
“मुझ सा नहीं है कोई भाया”
                                                                © आई बी अरोड़ा 

Tuesday 14 October 2014

You all know why


Big Bear came in a blue cap
Acted as if he was a cop
He walked with a swagger
Clutching a wooden dagger
He glared at the monkey
And thrashed the old donkey
He shouted at the brown fox
And kicked the sleeping ox
He pocked in the elephant’s ear
Abused him too, we did all hear
He shouted and bragged
His dirty finger he wagged
“Mind you, empty-heads and all
The big and the small
I am a rough fellow
Be ready to swallow
Bitter dose that I will give
For I don’t  forgive
Follow all rules, one and all
Or be ready to jump and crawl
Mind you, I am the king’s cop
And I am right at the top”
Everyone got scared
But the owl hardly cared
He laughed and hooted
He shouted and disputed
“You just trying to fool us
It be good if you don’t fuss
This cap you found in a ditch
And the dagger is a snitch
You think I am not aware
But my friend, I was there
Hear me all, young and old
All that you were told
Was nothing but trash
This bumpkin is a big brash”
Now, that truth was out
They all began to shout
Everyone lost his cool
Everyone acted like a fool
They all attacked the bear
And kicked him in the rear
Big Bear began to cry
And we all know why.

© i b arora

Saturday 11 October 2014

Elephant's Wish



An elephant wished 
he could fly
He wanted to reach 
the deep blue sky
He ran to a pigeon
he couldn’t wait
He woke up the pigeon 
who slept till eight
“Sir, I wish 
I could also fly
I wish I could 
go up high and high
I know you are 
truly a great flier
And you are quick 
and quite clever
Please help me 
and give me a tip or two
Please I want to fly 
just like you”
Pigeon was awake 
but half asleep
His heart  thumped 
and it took a leap
He looked at the elephant 
and quietly pondered
What could he say
that he wondered
His words would surely 
cause dismay
Very politely then 
he began to say
“Sir, it’s my wings 
that help me fly
Wings flutter
and I fly”
Elephant was surely 
and surely dismayed
He had no wings 
that could come to his aid
He looked at the sky 
and let out a grunt
He thanked the pigeon 
for not being blunt
“Sir, I am happy 
as I am

For there is no one here

as powerful as I am.”

© i b arora 

Wednesday 8 October 2014

मोतियों की माला
बिरजू और सोमू मित्र थे. दोनों एक सेठ के यहाँ नौकरी करते थे. बिरजू मेहनती था. लग्न के साथ अपना काम करता था. फिजूलखर्ची बिल्कुल न करता था. अपनी कमाई से वह बहुत पैसे बचा लेता था. हर माह गाँव आकर अपनी पत्नी को पैसे दिया करता था. अपनी बेटी, लक्ष्मी, के लिए कोई न कोई उपहार भी लाया करता था. उसका परिवार बहुत सुखी था.
सोमू भी मेहनती था. पर वह बुरी संगत में पड़ गया था. मौज-मस्ती करना उसे अच्छा लगता था. अपनी कमाई का बड़ा भाग वह अपनी मौज-मस्ती पर गंवा बैठता था. पत्नी और बेटे से मिलने कभी-कभार ही जाया करता था. इस कारण उसकी पत्नी और बेटा उदास और दुःखी रहते थे.
एक दिन सोमू के पड़ोसी ने गाँव से आकर बताया कि उसका बेटा बीमार है. उसकी पत्नी ने तुरंत घर बुलाया है. परन्तु सोमू घर जाने को तैयार न हुआ. बिरजू को इस बात का पता चला तो उसने सोमू को समझाया, “मैं कल गाँव जा रहा हूँ. तुम्हें भी मेरे साथ चलना होगा. वैसे भी तुम तीन-चार माह से घर नहीं गये. अब तो बेटा भी बीमार है.”
सोमू आना-कानी करने लगा पर बिरजू ने उसकी एक न सुनी और अपने साथ उसे गाँव ले गया.
इधर उधर की बातें करते दोनों गाँव की ओर चल दिए. बातों ही बातों में सोमू जान गया कि बिरजू अपने साथ पांच हज़ार रूपए ले जा रहा था. सोमू के पास सिर्फ एक सौ रूपए थे. परन्तु उसने कहा, “मैं भी पांच रूपए ले जा रहा हूँ. इस बार मैंने कोई फिजूलखर्ची नहीं की.”
बिरजू को उसकी बात का विश्वास न हुआ, पर वह चुप रहा. वह जानता था कि सोमू सच नहीं बोल रहा था.
रास्ते में एक जगह एक कूआँ था. वहां पहुँचने पर सोमू ने कहा, “ज़रा रुको, मैं थोड़ा पानी पी लूँ. बहुत प्यास लगी है.”
सोमू कूँये से पानी निकालने लगा. तभी उसने जानबूझ कर अपनी पोटली कूँये में गिरा दी. फिर वह रोने चिल्लाने लगा, “अरे मेरी पोटली कूँये में गिर गई. मेरे पैसे उसी पोटली में थे. अब मैं अपनी पत्नी को क्या दूंगा? अब मैं अपने बेटे का इलाज कैसे कराऊंगा?”
सोमू की सूरत देख बिरजू घबरा गया. उसने कहा, “चुप हो जाओ और धीरज रखो. मैं तुम्हारी पोटली निकाल कर लाऊँगा.”
इतना कह बिरजू कूँये में उतर गया. सोमू यही चाहता था. उसने झटपट बिरजू के कपड़ों और पोटली की तलाशी ली. पोटली की अंदर एक छोटी सी थैली थी जिसमें उसके रूपये थे. सोमू ने वह थैली निकल कर छिपा ली.
बिरजू कूँये से सोमू की पोटली निकाल लाया. सोमू खुशी से उछल पड़ा. उसने बिरजू को गले लगा लिया और बार-बार धन्यवाद दिया.
बिरजू घर पहुंचा तो उसकी बेटी भागती हुई आई और बोली, “इस बार मेरे लिए क्या लाये हो?”
“इस बार मोतियों की माला लाया हूँ. अपनी छोटी सी गुड़िया के लिये छोटी सी माला.” इतना कह बिरजू ने अपनी पोटली खोली. पर पोटली में न तो रुपये थे, न ही मोतियों की माला. वह बहुत हैरान हुआ. पर उसने अपनी पत्नी से कुछ न कहा.

उधर घर पहुँच कर सोमू ने चुराये हुए रुपये अपनी पत्नी, राधा, को दिए और कहा, “पूरे पांच हज़ार रुपये हैं. संभाल कर रखना. इस बार मैंने बहुत मेहनत की. इस कारण सेठ जी ने प्रसन्न हो कर इतने रुपये दिए.”

राधा ने जब रुपयों की थैली खोली तो उसमें उसे एक मोतियों की माला दिखाई दी. माला देख कर उसे आश्चर्य हुआ.
“यह माला किस के लिये लाये हो?” उसने सोमू से पूछा.
“कौन सी माला?”
“अरे, वही माला जो रुपयों की थैली में है?”
“मैं भूल ही गया था. वह मैं तुम्हारे लिए लाया हूँ.”
“मेरे लिए? इतनी छोटी माला? इतनी छोटी माला तो कोई छोटी बच्ची ही पहन सकती है.”
सोमू मन ही मन पछताया की उसने थैली की ठीक से जांच क्यों न की. वह डर गया कि कहीं राधा को कुछ संदेह न हो जाये और उसकी चोरी पकड़ी जाये. परन्तु पांच हज़ार रूपए पाकर राधा इतनी प्रसन्न थी कि उसने किसी बात की ओर ध्यान ही न दिया. रुपये उसने संभाल कर रख दिये और बिरजू के घर की ओर चल दी. बिरजू की पत्नी उसकी पक्की सहेली थी.
बिरजू के घर में उसकी बेटी, लक्ष्मी, रो रही थी.
“क्या हुआ हमारी लाडली बेटी को?” लक्ष्मी को पुचकारते हुए राधा ने पूछा. वह भी लक्ष्मी से बहुत प्यार करती थी.
“बापू मेरे लिए मोतियों की माला नहीं लाये. मुझे मोतियों की माला चाहिये.”
“अरे, तेरे बापू माला नहीं लाये तो क्या हुआ, मैं तुम्हें मोतियों की माला दूंगी,” राधा ने कहा.
लक्ष्मी को साथ ले राधा अपने घर आई. दोनों घर आमने-सामने ही थे. जो माला उसे रुपयों की थैली में मिली थी वह माला उसने लक्ष्मी को पहना दी. लक्ष्मी की खुशी का ठिकाना न रहा.
“मैं यह माला बापू को दिखाऊं?” उसने राधा से पूछा.
“हां, अभी जाकर दिखाओ,” राधा ने हंसते हुए कहा.
लक्ष्मी भागकर अपने घर आई. उसने अपने पिता को माला दिखाई. माला देखते ही बिरजू समझ गया कि सोमू ने ही उसकी रुपयों से भरी थैली चुराई थी.
“यह माला तो बहुत ही सुंदर है. क्या तुमने माला के लिए सोमू चाचा को धन्यवाद कहा?” बिरजू ने प्यार से बेटी के सर पर हाथ फेरते हुए पूछा.
“वो तो मैं भूल ही गई.”
लक्ष्मी को साथ लेकर बिरजू सोमू के घर आया. पिता के संकेत पर उसने सोमू से कहा, “चाचा, इस माला के लिए धन्यवाद. यह आप मेरे लिए ही लाये थे न?”  
सोमू की बोलती बंद हो गई. वह समझ गया कि बिरजू ने उसकी चोरी पकड़ ली है. वह डर गया कि कहीं बिरजू उसकी पत्नी और बेटे के सामने उसकी पोल न खोल दी. बिरजू भी सोमू के डर को भांप गया. उसने मुस्कराते हुए बिरजू से कहा, “ अरे, तुम ने यह माला कब खरीदी? कल तो तुम इतनी हड़बड़ाहट में थे? देखो, लक्ष्मी इसे पहन कर कितनी खुश है. मेरी ओर से भी तुम्हें बहुत-बहुत धन्यवाद.”
इतना कह कर बिरजू लौट गया. सोमू अपने आप में बहुत लज्जित हुआ. उसे अपनी गलती का अहसास हुआ. बिरजू के रुपयों की थैली लेकर वह उसी समय बिरजू के घर आया. थैली लौटा कर उसने बिरजू से कहा, “मैं तुम्हारा आभारी हूँ. तुमने राधा के सामने कुछ न कहा. मैं तुम्हें वचन देता हूँ कि अब मैं कोई गलत काम न करूंगा. मैं राधा को भी सब सच-सच बता दूंगा.”
“नहीं, ऐसा मत करना. राधा को कुछ कहने की आवश्यकता नहीं है,” बिरजू ने कहा.
“नहीं मित्र, अगर मैंने यह बात राधा से छिपा ली तो शायद मैं फिर से कोई भूल कर बैठूं.”
उसने राधा को सब सच-सच बता दिया. राधा ने कहा, “तुमने बिरजू की पोटली चुरा कर बहुत गलत किया. पर मैं प्रसन्न हूँ कि तुम्हें अपनी भूल का अहसास हुआ है और तुमने वचन दिया है की फिर ऐसा न करोगे. मेरी एक बात सदा याद रखना, बुरी संगत से तो अच्छा है की आदमी अकेला ही रहे.”  
पत्नी की यह बात सोमू कभी न भूला.
© आइ बी अरोड़ा 

Saturday 4 October 2014

I Land on Moon
When everyone is asleep 
in my room
I quietly leave and 
head for Moon
I climb 
a shooting star
That keeps waiting for me 
not very far
I climb 
and it quickly aim for sky
It vanishes 
when we are really high
I meet stars 
floating here and there
Now they are 
twinkling everywhere
I touch the stars 
and feel their glow
Shooting star is shooting 
now a bit slow
We are almost there 
and what I see
The rabbit on Moon 
and it is about to flee
There is the old woman 
with her spinning wheel
She looks at me 
but keeps spinning her wheel
And that’s not all, 
it is teeming with wonders
There are elephants, giraffes 
and reindeers
All of them are shining 
and shining bright
And all are emitting 
a shining white light
When they see me 
standing like a fool
They all shout, 
“He is one who broke the rule
He rode a shooting star 
and landed on Moon
He must be thrown out 
and real soon
His feet are dirty 
and nails are uncut
Did he ever wash his face? 
He is a nut
None can come here 
without taking a bath
Let us show him 
the outward path”
They come after me 
I know not where to run
But for them 
it is nothing but fun
In a moment they turn 
into worms that glow
They are all around me 
and I receive a blow
It is my kid brother 
who hit me hard
And from my sleep 
I wake up with a start.

© i b arora