हुडदंग
इक बन्दर के थे बच्चे चार 
उनको करता था बहुत प्यार 
इक दिन लाया वो केला एक 
केले के किए टुकड़े अनेक 
फिर बच्चों से बोला वो
 “जल्दी
आओ, जल्दी आओ
जल्दी से यह केले खाओ 
और केले खाकर मौज उड़ाओ” 
चारों बच्चे दौड़े आए 
केले थे उनके मन भाये 
मस्ती में वह सब चिल्लाये 
ज़ोर-ज़ोर से वह सब गाये 
“मिलकर केले खायेंगे हम  
हुड़दंग आज मचायेंगे कम” 
पर देखे केले के टुकड़े चार
तब गुस्से का रहा न पार 
सब लगे तब रोने चिल्लाने
बन्दर के आये होश ठिकाने  
बन्दर ने बच्चों को समझाया 
पर उनको वो रोक न पाया 
हर बच्चा चीखा चिल्लाया  
सब ने मिलकर हुड़दंग मचाया.
© आई बी अरोड़ा
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