गुब्बारा 
इक भालू के थे बच्चे दो 
नटखट बहुत थे दोनों वो 
भालू इक दिन लाया गुब्बारा 
रंग बिरंगा प्यारा-प्यारा 
गुब्बारा देख बच्चे चिल्लाये 
झटपट दोनों दौड़े आये 
गुब्ब्बारा लेकर भागे दोनों 
झूम खुशी से गये वह दोनों 
फिर इक बोला दूजे से 
“भइया, गुब्बारा फूला कैसे?” 
गुब्बारे को उसने खूब टटोला 
खूब सोच कर फिर वह बोला 
“भीतर इसके है कोई बला  
तभी तो है यह इतना फूला  
चलो ज़रा कुछ ज़ोर लगायें 
जो है भीतर उसे बाहर लायें” 
दोनों ने तब पिचकाया गुब्बारा
पटाखे सा फट गया गुब्बारा.
©आइ बी अरोड़ा  
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