Friday 21 August 2015

रोनी सूरत


अगर कभी तुम को जाना पड़े
बाहर
रात के अँधेरे में
अगर रास्ता हो सुनसान
तो भइया रहना थोड़ा सावधान
तुम को सुनाई दे सकती है
तुम्हारा पीछा करती
किसी के क़दमों की आहट
जिस को सुन
मन में हो सकती है तुम्हारे  
थोड़ी-बहुत घबराहट
अगर सुनाई दे
कुत्तों के रोने की आवाज़
तो समझ लेना
होंगे तुम्हारे ही आस-पास
भूत-प्रेत
जो दिखाई तो नहीं देते
पर चुपचाप
सब के पीछे-पीछे हैं चलते
जब बाहर हो अँधेरा
और रास्ते हों सुनसान
घर के भीतर रहना ही होता है
सब के लिए आसान 
पर फिर भी बाहर जाना
हो जाये अगर अति आवश्यक
तो एक ही उपाय होगा
ऐसी स्थिति में निर्णायक
साथ रखना अपने तुम  
माचिस जो न हो गीली  
 अपने दांतों से दबौच लेना
माचिस की सुलगती एक तीली
ज़ोर-ज़ोर से फिर सांस लेना
और खुले रखना अपने होंठ
तब देखना
होगा कैसा वहां तमाशा
क्योंकि
यह मूर्ख भूत-प्रेत समझते हैं
बस यही एक भाषा
भूत-प्रेत
जो कर रहे थे चुपचाप
तुम्हारा पीछा
डर से वह सब लगेंगे कांपने
और अपनी जान बचाने को
भागेंगे यहाँ-वहां
न देखेंगे कोई आगा-पीछा
आँखें उनकी हो जायेंगी गीली
और चहेरे से गायब
हो जायेगी उनकी हँसी
उन भूतों की रोनी सूरत देख कर
तुम सब को
तब आयेगी खूब हंसी.

© आइ बी अरोड़ा 

No comments:

Post a Comment