Wednesday, 1 July 2015

एक कहानी---‘ताकत का घमंड’

अचरज वन में एक शेर रहता था. वह बहुत बलवान था. छोटे पशु तो सब उससे डरते ही थे, बड़े-बड़े सींगों वाले भैंसे भी उससे डरते थे. लंबे-लंबे दांतों वाले शक्तिशाली हाथी भी उससे कतराते थे.

शेर को अपनी शक्ति का बहुत घमंड था. परन्तु एक दिन एक बूढ़े हाथी ने शेर से कहा, “अपनी ताकत पर इतना घमंड नहीं करना चाहिये. तुम्हारे इस व्यवहार के कारण कोई भी तुम से मित्रता नहीं करता. और एक बात समझ लो, तुम्हारा घमंड एक दिन तुम्हारे लिए ही मुसीबत बन जायेगा.”

घमंडी शेर ने हाथी की बात सुनी-अनसुनी कर दी और अकड़ कर वन में घूमता रहा. अचानक एक जगह उसने एक अजगर को देखा. अजगर बहुत लंबा और बड़ा था. कई दिनों के बाद अजगर ने शिकार किया था. एक पूरा हिरण वह निगल चुका था. अब वह चुपचाप लेटा सुस्ता रहा था.

शेर ने अजगर  से कहा, “हटो मेरे रास्ते से.’

“श्रीमान, आप एक ओर से निकल जाएँ. मैंने कई दिनों के बाद भोजन किया है. अब मेरा हिलना-डुलना थोड़ा कठिन है.” अजगर ने बड़े सम्मान के साथ कहा.

“अरे आलसी, मैं क्यों अपना रास्ता बदलूं, तुम्हें ही रास्ते से हटना होगा.”

“श्रीमान, अभी मैं तनिक भी हिलने की स्थिति में नहीं हूँ.”

“मुझ से ज़बान लड़ाता है,” इतना कह शेर ने अजगर को पूंछ से पकड़ कर एक ओर उछल दिया. अजगर को चोट लगी पर वह चुप रहा.

बूढ़ा हाथी निकट ही था और सब देख रहा था. उसने धीमे से कहा, “यह आपने ठीक नहीं किया. अजगर कभी-कभार ही खाना खाता है और खाने के बाद देर तक सुस्त पड़ा रहता है. आपने जिस तरह उसे पटका है उसे बहुत चोट लगी होगी.”

शेर ने हाथी की बात सुनी भी नहीं और वहां से चला गया. हाथी ने मन ही मन कहा, “अगर यह मूर्ख कभी किसी मुसीबत में फंस गया तो कोई इसकी सहायता नहीं करेगा.”

एक दिन शेर पानी पीने के लिए नदी की ओर जा रहा था. नदी किनारे एक नीम का पेड़ था. शेर सदा उस पेड़ के निकट ही नदी का पानी पीता था. उस दिन भी वो उसी नीम के पेड़ की ओर जा रहा था. पर उसे पता न था कि नदी में बाढ़ आई हुई थी. नदी में पानी का बहाव बहुत तेज़ था.

संयोगवश बूढ़े हाथी ने शेर को नदी की ओर जाते देख लिया. उसने शेर से कहा, “नदी में बाढ़ आई हुई है. नीम के पेड़ के पास जाने का प्रयास न करना, कहीं नदी तुम्हें बहा कर न ले जाये.”

“नदी में इतनी शक्ति कहाँ से आ गई कि मुझ जैसे बलशाली शेर को बहा कर ले जाये. मेरी ताकत से तो नदी भी डरती है,” इतना कह कर शेर ज़ोर से हंसा.

वह अकड़ता हुआ धीरे-धीरे नीम के पेड़ की ओर चलता रहा. शुरू में पानी उसके टखनों तक था, फिर उसके घुटनों तक आ गया. पर नीम तक वह पहुँच ही न पाया. एक तेज़ लहर आई और शेर पानी में बहने लगा. शेर के होश उड़ गये. उसने तैरने की कोशिश की परन्तु पानी का बहाव इतना तेज़ था कि वह तैर ही न पाया.

शेर डर गया. वह इतना डर गया जितना अपने जीवन में कभी न डरा था. वह चिल्लाया, “बचाओ-बचाओ, कोई तो बचाओ.”

परन्तु आस-पास कोई न था जो उसका चिल्लाना सुनता और उसकी सहायता करता.

अजगर भी पानी में बह गया था. पर सौभाग्यवश वह एक बरगद से जा टकराया था. जीवन में पहली बार सुस्ती छोड़ वह झटपट पेड़ पर चढ़ गया था.

शेर उसी बरगद की ओर बहा जा रहा था. अजगर ने शेर को देखा. वह समझ गया कि अगर उसने शेर की सहायता न की तो वह बहता जाएगा और डूब जायेगा.

अजगर ने अपनी पूंछ नीचे लटका दी, जैसे ही शेर निकट पहुंचा अजगर ने कहा, “श्रीमान, मेरी पूंछ पकड़ लीजिये.”

शेर इतना घबराया हुआ था कि वह एक तिनके का सहारा लेने को भी तैयार था. उसने लपक कर अजगर की पूंछ पकड ली. शेर बहुत भारी था परन्तु अजगर भी कम शक्तिशाली न था.

अजगर धीरे-धीरे पूंछ को ऊपर खींचने लगा. पूंछ के साथ शेर भी ऊपर आ गया. अजगर को बहुत परिश्रम करना पड़ा, परन्तु उसने शेर को बचा लिया. शेर पेड़ पर चढ़ गया. वह डर से थर-थर कांप रहा था. अजगर ने अपनी पूंछ से उसे सहारा दिया कि कहीं नदी में न गिर जाये.

दो दिनों के बाद नदी का पानी उतर गया. अजगर और शेर पेड़ से नीचे आये. बूढ़ा हाथी भी वहां आ गया. उसने शेर से कहा, “क्या हुआ, नदी तो आपसे डरी ही नहीं? वह तो आपको बहा कर ही ले गई.”

शेर को अपनी भूल का अहसास हो गया था. फिर भी अपनी झेंप मिटाने के लिए बोला, “अगर मैं पूरी ताकत लगा कर अजगर की पूंछ न पकड़ता तो अवश्य बह जाता. अपनी ताकत के कारण ही मैं बच पाया.”

“मैं कहाँ कह रहा हूँ कि ताकत का कोई उपयोग नहीं, मैं तो बस यह कह रहा हूँ कि ताकत का घमंड करना गलत है.”

“और बुद्धिमानों की बात मानना सबसे बड़ी बुद्धिमानी है,” अजगर ने कहा और खिलखिला कर हंस दिया.
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©आइ बी अरोड़ा 

"बच्चों के लिए" मेरे इस ब्लॉग पर भी आप मेरी बच्चों के लिए लिखी कहानियां और कविताएँ पढ़ सकते हैं. 

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