एक लंबी कहानी---“पत्थर
का योद्धा” (भाग 6)
निराशा में डूबा वीलीयन
सराय में बैठा शराब पी रहा था. उस समय सराय में कई यात्री थे और वह सब या तो भोजन
कर रहे थे या शराब और बियर पी रहे थे.
बियर पीने वालों में कुछ तलाविया के सैनिक भी थे.
तलाविया के राजा ने
सैनिक के शराब सेवन पर प्रतिबन्ध लगा रखा था. राजा का मानना था की शराब सैनिकों को
कमज़ोर और सुस्त बना देती है. तलाविया के सैनिक शराब छूते भी न थे. परन्तु कुछ
गिने-चुने सिपाही थे जो कभी-कभार चोरी-छिपे बियर पी लेते थे.
जो सैनिक बियर पी
रहे थे उनमें रायज़र नाम का एक सैनिक भी था.
रायज़र एक बहादुर और
शक्तिशाली योद्धा था. उसने कई युद्धों में भाग लिया था और बड़ी वीरता के साथ लड़ा
था. उसके साहस और शौर्य के लिए उसे सम्मान भी मिला था. वह आशा कर रहा था कि एक दिन
पूर्वी सीमा चौकी का नायक बनाया जायेगा. परन्तु राजा ने एक युवक को नायक बना दिया
था. वह युवक ज़ोरान था और रायज़र को उसके अधीन काम करना पड़ रहा था.
रायज़र इस बात से
बहुत दुःखी था. उसे अपने राजा पर गुस्सा भी आ रहा था. उसे लग रहा था कि राजा ने
उसे अपमानित किया है. परन्तु ज़ोरान के अधीन काम करने के सिवाय उसके पास कोई रास्ता
नहीं था.
रायज़र और उसके मित्र
बियर पी रहे थे. तभी रायज़र ने कहा, ‘मित्रो, आज थोड़ी शराब क्यों न पीयें?’
‘नहीं, हम शराब नहीं
पीयेंगे. राजा के आदेश अनुसार तो हम बियर भी नहीं पी सकते. वह तो तुम्हारा साथ
देने के लिए हम थोड़ी पी लेते हैं. अगर नायक ज़ोरान को इस बात का पता चला तो वह
अवश्य दंड देगा,’ रायज़र के एक साथी ने कहा.
इसी बात पर उनमें गरमा-गर्म
बहस छिड़ गई. वीलीयन निकट के मेज़ पर बैठा उनकी बातें सुन रहा था. उनकी बातों से
उसने अनुमान लगाया कि वह सब सैनिक थे और उनमें से एक कुछ दुःखी था, गुस्से में भी था.
वीलीयन उनके पास आया
और बोला, ‘मैं एक व्यापारी हूँ और इस्तांबुल जा रहा हूँ. व्योपार के सिलसिले में
मुझे अकसर अलग-अलग नगरों में जाना पड़ता है. कुछ दिनों के लिए यहाँ रुका हूँ. क्या
मैं आपके साथ बैठ जाऊं?’
रायज़र ने उसे संदेह
से देखा. परन्तु इससे पहले कि वह कुछ कहता वीलीयन ने सबसे महंगी शराब पीने के लिए
मंगवा ली. उन सैनिकों ने इतनी महंगी शराब कभी चखी भी न थी. वह अपने को रोक न पाये
और वीलीयन के साथ बैठ कर शराब पीने लगे.
‘दो माह बाद इस्तांबुल
से मैं लौट कर आउंगा. लौटते समय में संसार की सबसे बढ़िया शराब वहां से ले कर
आऊंगा. ऐसी शराब यहाँ नहीं मिलती. उस शराब का स्वाद ही अलग है. आप लोगों को वह
शराब अच्छी लगेगी,’ वीलीयन ने मस्ती में कहा.
थोड़े ही समय में
तलाविया के सैनिक वीलीयन से ऐसे बातें करने लगे जैसे कि वह बरसों पुराने मित्र
हों.
जब वह सब बैठे शराब
पी रहे थे और आपस में गपशप कर रहे थे तब का एक सुंदर पक्षी कहीं से आया और सराए की
खिड़की पर आकर बैठ गया. वह गरुड़ जैसा लग रहा था पर उसके पंख गहरे नीले रंग के थे.
‘कितना सुंदर पक्षी
है,’ एक सैनिक ने कहा.
‘क्या यह कोई तोता
है?’ दूसरे ने पूछा.
‘नहीं, यह तोता नहीं
है. पर यह एक अनोखा पक्षी है. ऐसा पक्षी मैंने पहले कभी नहीं देखा,’ तीसरे ने कहा.
वीलीयन ने उस पक्षी
की ओर देखा भी नहीं. वह तो मन ही मन सोच रहा था कि किस भांति वह रायज़र से मित्रता
करे और उसका विश्वास जीते. रायज़र एक बहादुर योद्धा था. वह दुःखी और क्रोधित था.
उसे ज़ोरान के अधीन काम करना पड़ रहा था. वीलीयन यह बात समझ गया था. उसे लग रहा था
कि वह रायज़र का विश्वास जीत, उसे ज़ोरान के विरुद्ध भड़का सकता है.
‘मैं सेना के बारे
में अधिक नहीं जानता पर फिर भी मुझे लगता है कि आपके राजा ने आपके साथ अन्याय
किया. आप जैसा महान योद्धा ही नायक बनना चाहिये था. मैंने सुना है कि ज़ोरान ने तो बस
एक-दो लड़ाइयां ही लड़ी हैं. उसे सेना का अनुभव ही कितना है? आप के होते हुए राजा ने
ज़ोरान जैसे अनुभवहीन सैनिक कैसे नायक बना दिया?” वीलीयन ने रायज़र को उकसाते हुए
कहा.
‘पर ऐसा ही हुआ है’
रायज़र ने मायूस हो कर कहा.
‘क्या आप ने विरोध
नहीं किया?’
‘एक सैनिक को विरोध
करने का अधिकार नहीं होता.’
‘यह अन्याय आप सहन
कैसे कर गये?’
‘मैं कर भी क्या सकता
हूँ?’
‘एक सैनिक के लिए
आत्म-सम्मान ही सबसे महत्वपूर्ण होता है. आप को अपने आत्म-सम्मान के लिए, अपने गौरव के लिए लड़ना
चाहिये,’ वीलीयन ने उकसाने का प्रयास किया.
रायज़र कुछ समझ न पा
रहा था कि उसे क्या करना चाहिये. शराब पीने के कारण उसकी बुद्धि ने भी काम करना
बंद कर दिया था.
‘आप को दिखा देना
चाहिये कि आप ज़ोरान की भांति बहादुर और शक्तिशाली हैं,’ वीलीयन ने आग में घी डालने
का काम किया.
©आइ बी अरोड़ा
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