एक लंबी कहानी---“पत्थर
का योद्धा” (भाग 10)
‘नहीं, यह सच नहीं
है......’वीलीयन ने सहमी हुई आवाज़ में कहा.
‘यही सच है और मुझे
शुरू से ही इस बात का अहसास था. इसलिये मैंने जो खंजर तुम्हें दिया था वह एक
साधारण सा खंजर था, कोई जादुई खंजर न था. अगर तुम स्वयं ज़ोरान को चुनौती देते तो उस
खंजर में जादुई शक्ति आ जाती. तुम्हारी बहादुरी और तुम्हारा साहस उस खंजर को जादुई
खंजर बना देते. अगर तुम ज़ोरान से लड़ते हुए मारे भी जाते तो भी तुम एक वीर की मौत
मरते. अब तुम एक कायर की मौत मरोगे,’ आर्विज़ की आवाज़ और चेहरा, दोनों ही डरावने लग
रहे थे.
‘नहीं, ऐसा बिलकुल
नहीं है. मैं ज़ोरान को चुनौती देने की सोच ही रहा था. लेकिन तभी रायज़र ने मुझ से
सहायता मांगी. रायज़र तलाविया का एक सैनिक है. ज़ोरान ने उसके साथ बहुत अन्याय किया
है. रायज़र अपने अपमान का बदला लेना चाहता था. वह ज़ोरान को मारना चाहता था. उसने
मुझ से सहायता मांगी. वह मेरा मित्र बन गया था. मित्रता के कारण ही मुझे उसकी
सहायता करनी पड़ी,’ वीलीयन ने एक झूठी कहानी सुना कर आर्विज़ को फिर से मूर्ख बनाने
की कोशिश की.
‘तुम कायर ही नहीं,
झूठे भी हो. जो कुछ तुमने आज तक कहा और किया वह सब मुझे मालूम है. नीले पंखों वाल
पक्षी सदा तुम्हारे आस-पास रहता था. उस पक्षी को मैंने ही भेजा था. पक्षी तुम्हारी
हर बात मुझे बताता रहा है. अभी भी वह उस पेड़ पर बैठा तुम्हें देख रहा है और
तुम्हारी बातें सुन रहा है.’
वीलीयन ने पेड़ पर
बैठे पक्षी कि ओर देखा. उस पक्षी को देख वह समझ गया कि उसकी पोल खुल चुकी है.
‘तुम धूर्त हो, कायर
हो. तुम्हारे कुकर्मों का तुम्हें अवश्य दंड मिलेगा. तुम कायरों की भांति मरोगे,’
आर्विज़ को जीवन इतना क्रोध कभी न आया था जितना क्रोध उसे वीलीयन पर आ रहा था.
वीलीयन ने कुछ कहने
का प्रयास किया, परन्तु आर्विज़ वहां से चला गया. वह कहाँ गया, कैसे गया, यह बात वीलीयन
को समझ ही न आई. उसने पेड़ की ओर देखा, नीले पंखों वाल पक्षी भी वहां न था.
वीलीयन दुःखी और
निराश था. वह तो सोचे बैठा था कि ज़ोरान को छल से मरवा कर वह अपने राजा के सामने
अपने को एक महान योद्धा प्रमाणित करेगा. राजा यंगहार्ज़ की प्रशंसा पायेगा. सेना
में बड़ा अधिकारी बनेगा और एक दिन अपने देश की सेना का सेनापति बनेगा. परन्तु
आर्विज़ ने उसके सपने चकनाचूर कर दिए थे.
अचानक उसके मन में
एक शैतानी विचार आया. उसने तय किया कि वह महाराज यंगहार्ज़ को सच का पता न लगने
देगा.
उसने अग्निबाण चला
दिया. यह बाण उस सेना के लिए संकेत था जो वन में छिप कर प्रतीक्षा कर रही थी. राजा
के आदेश अनुसार यह बाण उसे ज़ोरान को मार कर चलाना था. यह एक संकेत था और सेना को
आदेश था की इस संकेत के मिलते ही तलाविया पर आक्रमण कर दे.
वन में छिपी
ब्राशिया की सेना ने आकाश में अग्निबाण देखा, सेना तुरंत पूर्वी चौकी की ओर चल दी.
रास्ते में एक जगह उन्हें वीलीयन मिला. वह पेड़ों के झुरमुट में छिप कर सेना की
प्रतीक्षा कर रहा था. सेना के नायक ने पूछा, ‘क्या ज़ोरान मरा गया?’
‘मैंने सूर्यास्त से
पहले ज़ोरान से द्वंद युद्ध किया था, मैंने उसे बुरी तरह घायल कर दिया था. मैं उसे
मारने ही वाला था कि उसके कुछ साथी बीच में आ गये. उन्होंने युद्ध रुकवा दिया और
ज़ोरान को उठा कर अपने साथ ले गये.’
‘अगर ज़ोरान मरा नहीं
है तो तुम ने अग्निबाण क्यों चलाया? आदेश अनुसार हमें उसके मरने के बाद ही तलाविया
पर आक्रमण करना है.’
‘मैं जानता हूँ कि
महाराज का आदेश क्या है. पर आप एक बात समझिये, ज़ोरान बुरी तरह घायल है. वह लड़ाई
में भाग न ले पायेगा, अगर उसने मैदान में आने का साहस कर भी लिया तो अधिक देर तक
टिक न पायेगा. उसे कई घाव लगें हैं और उसका बहुत खून भी बह चुका है. मेरे
गुप्तचरों ने बताया है कि चौकी पर इस समय अधिक सैनिक नहीं हैं. यह एक सुनहरा अवसर
है. ज़ोरान बुरी तरह घायल है, सैनिक कम हैं और थोड़े हतोत्साहित भी हैं. हम बड़ी
सरलता से इस चौकी पर कब्ज़ा कर सकते हैं. हमें यह अवसर चूकना नहीं चाहिये.’
नायक वीलीयन की
बातों में आ गया. उसे लगा कि अगर वह चौकी को अपने कब्ज़े में करने में सफल हो गया
तो यह एक बड़ी विजय होगी. उसने आक्रमण करने का निर्णय लिया.
अगले दिन सूर्य उदय
होते ही ब्राशिया के सैनिकों ने हमला कर दिया. तलाविया के सैनिक आश्चर्यचकित हो
गये. उन्होंने सोचा भी न था कि इस तरह अचानक चौकी पर हमला होगा.
तलाविया के सैनिक दुःखी
और निराश थे. रायज़र के साथ द्वंद युद्ध में ज़ोरान घायल हो गया था. परन्तु रायज़र की
स्थिति बहुत ख़राब थी. उसे कई घाव लगे थे और वह तभी से बेहोश पड़ा था. डॉक्टर दोनों
का इलाज कर रहे थे. परन्तु रायज़र के बचने की आशा कम ही थी.
ज़ोरान होश में था लेकिन
वह युद्ध में भाग लेने की स्थिति में न था.
एक उपनायक ने कहा,
‘श्रीमान, आप निश्चिंत रहें. लड़ाई के मैदान में आपके आने की कोई आवश्यकता नहीं. ब्राशिया
के सैनिक कायर हैं और हम उन कायरों को पहले भी दो बार हरा चुके हैं. आज फिर उन्हें
हराएंगे. अब की बार हम किसी को जीवित नहीं छोड़ेंगे. हर शत्रु सैनिक को मार
डालेंगे.’
लड़ाई शुरू हुई, लड़ाई
के मैदान में न ज़ोरान दिखाई दिया, न ही रायज़र.
वीलीयन ने चिल्ला कर
अपने नायक से कहा, ‘मैंने कहा था न कि ज़ोरान युद्ध में भाग न ले पायेगा. देखिये,
वह लड़ाई के मैदान में नहीं है. वह जीवित तो है पर आप उसे मरा ही समझें. आज हमारी
जीत निश्चित है. आइये, वीरों की भांति युद्ध करें और अपनी पिछली पराजयों का बदला
लें.’
©आइ बी अरोड़ा
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