एक लंबी कहानी---“पत्थर
का योद्धा” (भाग 3)
बदले की आग राजा यंगहार्ज़
के मन में सुलग रही थी. वह हर पल बस एक ही बात सोचता रहता था कि, कैसे भी कर के,
उसे तलाविया से बदला लेना होगा. वह जानता था कि ज़ोरान का डर उसके सैनिकों के मन
में बैठ चुका था. जब तक ज़ोरान अपने देश की सीमा की रक्षा करता रहेगा, तब तक तलाविया
की सेना को हराना संभव न था.
तलाविया की सेना को
हराने से पहले ज़ोरान को मारना आवश्यक था. ज़ोरान की मृत्यु ही ब्राशिया की विजय का
रास्ता बन सकती थी. परन्तु राजा यंगहार्ज़ को यह समझ न आ रहा था कि ज़ोरान को रास्ते
से हटाने के लिए क्या योजना बनाई जाये.
ब्राशिया की सेना में एक सैनिक
था जो अपने राजा यंगहार्ज़ की तरह ही महत्वकांक्षी था. उसका नाम वीलीयन था. न वह
बहादुर था, न ही ताकतवर. जिस सेना ने तलाविया पर दो बार आक्रमण किया था वीलीयन उस
सेना में था और उसने युद्ध में भाग भी लिया था, परन्तु दोनों ही बार बड़ी चतुराई के
साथ वह युद्ध के मैदान से भाग गया था. युद्ध में उसे का खरोंच तक न आई थी.
वीलीयन बहुत धूर्त और
बेईमान था. बिना कुछ किये-धरे वह राजा की प्रशंसा पाना चाहता था. बिना कोई जोखिम
उठाये वह सेना में आगे बढ़ना चाहता था. वह तो ब्राशिया की सेना का सेनापति बनने के
सपने भी देखा करता था.
वीलीयन की एक जादूगर
के साथ मित्रता थी. जादूगर का नाम था आर्विज़, जो घने जंगल के बीच एक पुराने किले
में रहता था. आर्विज़ एक प्रसिद्ध जादूगर था, परन्तु मन का अच्छा था. वह किसी को भी
कष्ट न पहुंचाता था. वह तो पशुओं और पेड़ों से भी प्यार करता था.
आर्विज़ अपने किले के
अंदर ही अपना सारा समय बिताता था और जादू के नए-नए प्रयोग करता रहता था. उसके कुछ
सहायक भी थे जो उसके साथ किले में ही रहते थे. आर्विज़ की भांति उसके सहायक भी सब अच्छे
लोग थे.
वीलीयन आर्विज़ के एक
सहायक का ही बेटा था. एक जादू के प्रयोग में आर्विज़ से कुछ भूल हो गई थी और उस भूल
के कारण एक दुर्घटना हो गई थी. उस दुर्घटना में वीलीयन के पिता की मृत्यु हो गई
थी. आर्विज़ को इस बात से ठेस लगी थी और उसने वीलीयन के पालन-पोषण की ज़िम्मेवारी
अपने पर ले ली थी.
दुर्घटना के समय वीलीयन
छोटा था और उसी किले में रहता था. परन्तु वह बहुत ही उद्दंड स्वभाव का लड़का था.
आर्विज़ की कोई बात न सुनता था, उसके सहायकों को तंग करता था, जादू के प्रयोगों के
लिए इकट्ठे किये हुए पशु-पक्षियों को भी सताता था. आर्विज़ ने कई बार उसे समझाने का
प्रयास किया था पर वीलीयन तो अपने व्यवहार को बदलने को तैयार ही न था.
एक दिन आर्विज़ ने वीलीयन
से कहा कि अब वह बड़ा हो गया था और उसे सेना में भर्ती हो जाना चाहिये. आर्विज़ का विचार
था की सेना का अनुशासन और प्रशिक्ष्ण उसके स्वभाव में कुछ परिवर्तन ले आयेगा.
वीलीयन भी उस पुराने
किले से दूर चला जाना चाहता था. उसे लगा की सेना में भर्ती होकर वह किले के बाहर
का संसार देख पायेगा. आर्विज़ की बात मान रख, वह सेना में भर्ती हो गया.
सेना में भर्ती होने
के बाद भी वह आर्विज़ से मिलता रहता था. वह आर्विज़ को ऐसे दिखाने लगा था कि एक
सैनिक बन कर उसमें बहुत परिवर्तन आ गया था, कि वह एक बहादुर और अनुशासित सैनिक था
जो अपने देश के लिए मर-मिटने को तत्पर था. आर्विज़ इस परिवर्तन को देख बहुत प्रसन्न
हुआ था और वीलीयन को अपने बेटे समान मानने लगा था.
तलाविया के दूसरे
युद्ध के बाद वीलीयन आर्विज़ से मिलने आया. वह घायल होने का ढोंग कर रहा था.
‘क्या हुआ?’ आर्विज़
ने चिंतित हो पूछा, ‘क्या तुम अस्वस्थ हो? क्या तुम घायल हो?’
‘क्या आप नहीं
जानते? तलाविया ने हमारे देश पर हमला कर दिया था. हमारी सेना ने शत्रु के सेना के
साथ भयंकर युद्ध किया था. हम सब जान हथेलियों पर रख कर लड़ रहे थे. भीषण लड़ाई हुई
थी. हम जीतने ही वाले थे कि तलाविया की सेना ने हमारे साथ छल किया,’ वीलीयन बोलते-बोलते
रुक गया.
‘क्या छल किया
उन्होंने?’ आर्विज़ ने आतुरता से पूछा.
‘उन्होंने एक दुष्ट
जादूगर की सहायता ली. हम लोग अच्छे सैनिकों की भांति युद्ध के नियमों अनुसार लड़
रहे थे, परन्तु उनके जादूगर ने कुछ ऐसा किया कि हम सब अंधे हो गये. हम कुछ देख न
पा रहे थे. इस स्थिति का लाभ उठा कर तलाविया के कायर सैनिक हम पर टूट पड़े. हमारे
कई सैनिक मारे गये, कई बुरी तरह घायल हो गये. मैं भी घायल हो गया. लेकिन अपने
घावों की परवाह किये बिना मैं युद्ध के मैदान में डटा रहा. मैं तब तक लड़ता रहा जब
तक की मेरे साथी खींच कर मुझे वहां से ले नहीं गये,’ वीलीयन ने बड़ी सफ़ाई के साथ एक
झूठी कहानी आर्विज़ को सुनाई.
‘तलाविया की सेना ने
तो बहुत ही अशोभनीय काम किया. उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिये था. एक सैनिक को सैनिक
की तरह ही लड़ना चाहिये, जादू का सहारा लेना बिलकुल गलत है. पर मैंने तो सुन रखा है
कि उनकी सेना में ज़ोरान जैसे एक वीर योद्धा है. क्या वह उस युद्ध में न था?’
‘वही दुष्ट तो
तलाविया की सेना का नायक था. वह कोई वीर योद्धा नहीं है, उसी कायर ने जादूगर की
सहायता ली थी. जब तक वह जादूगर उनकी सहायता करता रहेगा तब तक उन्हें पराजित करना
कठिन है. वह जब चाहें हमारे देश पर हमला कर सकते हैं, हमारी भूमि हथिया सकते हैं,
हमारी महिलाओं और बच्चों को अपना दास बना सकते हैं.’
यह सब बातें वीलीयन कुछ
सोच कर ही कह रहा था. वह आर्विज़ से सहायता लेना चाहता था, परन्तु वह जानता था कि
आर्विज़ इतनी सरलता से उसकी सहायता न करेगा. बहादुर सैनिकों के विरुद्ध वह कभी भी
अपना जादू प्रयोग न करेगा.
©आइ बी अरोड़ा
No comments:
Post a Comment