एक लंबी कहानी---“पत्थर
का योद्धा” (भाग 12)
जब राजा और वह सैनिक
बातें कर रहे थे, डॉक्टर ज़ोरान के शव की जांच कर रहा था. डॉक्टर ने कहा, ‘महाराज,
हमें ज़ोरान की अंतिम इच्छा पूरी करनी चाहिये. अब अगर आप अनुमति दें तो मैं ज़ोरान
को अपने अस्पताल ले जाना चाहूँगा.’
‘तुम्हारा अर्थ है
कि ज़ोरान के शव को?’
डॉक्टर ने सर हिला
कर हामी भरी. राजा ने अनुमति दे दी. राजमहल पहुँच राजा ने देश के सबसे प्रसिद्ध मूर्तिकार
को बुलाया और कहा, ‘ज़ोरान की मूर्ति बनाइये, मूर्ति ऐसी होनी चाहिये कि देखने वाले
को लगे कि वह मूर्ति को नहीं, स्वयं ज़ोरान को देख रहा है. अपनी कला का भरपूर
प्रयोग करें और एक सजीव मूर्ति बनाएं, तुरंत.’
मूर्तिकार ने अपने
राजा को निराश न किया. जो मूर्ति उसने बनाई उसे देख कर स्वयं राजा भी दंग रह गये.
उन्हें लगा कि जैसे ज़ोरान ही उनके सामने खड़ा था और अभी उनसे बात करने लगेगा.
राजा ने मूर्तिकार
की खूब प्रशंसा की और उसे पुरूस्कार भी दिया. उस मूर्ति को पूर्वी चौकी के निकट
स्थापित कर दिया गया. जो कोई भी उधर से आता-जाता उसे लगता कि ज़ोरान स्वयं चौकी के
निकट खड़ा सीमा की निगरानी कर रहा है.
ब्राशिया के गुप्तचर
भी धोखा खा गये. वह भी समझे की ज़ोरान के घाव ठीक हो गये थे और वह स्वयं सीमा की
निगरानी करने लगा था. गुप्तचरों ने अपने राजा को सूचना दी. ब्राशिया के राजा का
गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया. वह समझ गया की वीलीयन ने उससे झूठ कहा था.
लड़ाई के बाद वीलीयन ने
कहा था कि ज़ोरान गम्भीर रूप से घायल था और वह बच न पायेगा. फिर कुछ दिनों के बाद
उसने राजा यंगहार्ज़ से कहा था, ‘महाराज, कुछ चरवाहे मेरे लिए तलाविया में जासूसी
करते हैं, उन्होंने सूचना भिजवाई है कि ज़ोरान मर गया है. तलाविया के राजा अपना
डॉक्टर ले कर पूर्वी चौकी आये थे. परन्तु उनके पहुँचने से पहले ही ज़ोरान की मृत्यु
हो चुकी थी.’
लेकिन जब ब्राशिया
के राजा को पता चला कि ज़ोरान जीवित था और सीमा की निगरानी कर रहा था तो उसका
गुस्सा फूट पड़ा. राजा यंगहार्ज़ के आदेश पर वीलीयन को कैद कर लिया गया. उसे
मृत्युदंड देने का आदेश दिया.
वीलीयन रोने-गिडगिडाने
लगा. राजा से दया की भीख मांगने लगा. पर उसके आंसू देख कर भी राजा का क्रोध कम न
हुआ.
कुछ सोच कर राजा ने
कहा, ‘मैं तुम्हें एक शर्त पर क्षमा कर सकता हूँ. तुम पूर्वी चौकी जाओ और पता लगाओ
कि ज़ोरान जीवित है या मर चुका है. अगर वह जीवित है तो तुम उसे द्वंद युद्ध लड़ने के
लिए चुनौती दो और उससे द्वंद युद्ध लड़ो.’
वीलीयन ने झट से
राजा की शर्त मान ली. ज़ोरान से लड़ने का उसका कोई इरादा न था. वह तो तलाविया की ओर
जाने वाला भी न था. सिर्फ मृत्युदंड से बचने के लिए उसने राजा की बात मान ली थी.
वह तो ब्राशिया से भाग जाने का एक अवसर चाहता था.
‘यह मत सोचना कि तुम
इस बार चकमा दे पाओगे. नीले पंखों वाला पक्षी हर समय तुम पर निगरानी रखेगा और
तुम्हारी हर बात, तुम्हारे हर काम की हमें सूचना देता रहेगा. अगर तुम ने इस बार
कोई चाल चली तो तुम्हारी मृत्यु निश्चित है,’ ब्राशिया के राजा यंगहार्ज़ ने थोड़ा
क्रोध से कहा.
वीलीयन मन ही मन डर
गया. उसे पता न था की जादूगर आर्विज़ राजा की सहायता कर रहा था. वीलीयन समझ गया कि
इस बार वह बुरी तरह फंस गया था. अब वह बच कर भाग न सकता था. राजा के आदेश का पालन
करने के अतिरिक्त उसके पास कोई रास्ता न था.
वीलीयन तलाविया की
पूर्वी चौकी आया. चौकी के निकट स्थित चाँद सराय में ही ठहरा. इस बार भी उसने एक
सौदागर का भेष बना रखा था. वह सोच रहा था कि शायद रायज़र शराब पीने के लिए सराय में
कभी आये; वह फिर से उसे फुसलाने का प्रयास करना चाहता था. परन्तु तलाविया का कोई
भी सैनिक उस सराय में नहीं आया.
दिन बीत रहे थे.
नीले पंखों वाला पक्षी सदा उसके आस-पास ही रहता था. वह पक्षी कब आता और कब जाता, वीलीयन
कभी न जान पाया.
जब वीलीयन को कोई
रास्ता न सुझाई दिया तो उसने एक लालची चरवाहे को पैसों का लालच दे कर पूर्वी चौकी
की जासूसी करने के लिये मनवा लिया. चरवाहे ने बहुत प्रयास किया परन्तु उसे कोई
जानकारी न मिली.
‘ज़ोरान कैसे हर समय
सीमा की निगरानी करता रहता है? वह तो यहाँ का नायक है. कुछ दिन उस पर कड़ी नज़र
रखो,’ वीलीयन ने चरवाहे से कहा.
कुछ दिनों के बाद उस
चरवाहे ने बताया कि सीमा की निगरानी ज़ोरान नहीं करता, जिसे सब ज़ोरान समझते थे वह
तो पत्थर की मूर्ति थी.
‘ज़ोरान तो कब का मर चुका
है. आप लोगों को मूर्ख बनाने के लिए एक पत्थर की मूर्ति बनवा कर चौकी के निकट
स्थापित कर दी गई है. सब उस मूर्ती को देख कर समझते हैं कि ज़ोरान जीवित है और सीमा
की रक्षा कर रहा है.’
‘यह जानकारी तुम्हें
कहाँ से मिली?’ वीलीयन ने पूछा.
‘उनकी सेना का एक
सैनिक है, जिसे शराब पीने की आदत हो गई थी, नए नायक ने उसे सेना से निकाल दिया था,
वह सब जानता है. उसी ने मुझे बताया.’
कुछ भी करने से पहले
वीलीयन इस सूचना को अच्छी तरह से परख लेना चाहता था. रात में वह स्वयं जांच करने
निकला. उसने पूरी सावधानी बरती. बड़ी चालाकी से वह उस जगह आया जहां ज़ोरान खड़ा सीमा
की निगरानी कर रहा था. निकट आने में उसे डर लग रहा था, पर जान हथेली पर रख वह पास
आया. जब उसने ज़ोरान को छुआ तो उसकी ख़ुशी का ठिकाना न रहा. वहां ज़ोरान नहीं था, बस एक
पत्थर की मूर्ति थी.
प्रसन्नता से वह झूम
उठा. उसने तुरंत वापस लौट अपने राजा को यह सूचना देने की बात सोची. परन्तु वह
जानता न था कि तलाविया के बिछाए हुए जाल में वह फंस गया था. जिस सैनिक ने चरवाहे
को यह सूचना दी थी वह तलाविया का एक गुप्तचर था.
©आइ बी अरोड़ा
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