निगरानी
भालू पुलिस स्टेशन
आया. उसे देख इंस्पेक्टर ने पूछा, “ कैसे आना हुआ? सब ठीक तो है?”
भालू कुछ कहने वाला ही था कि एक सिपाही सियार को गर्दन से पकड़ कर इंस्पेक्टर के पास ले आया.
सियार को देख इंस्पेक्टर भड़क गया. गुस्से से बोला, “ तुम कब सुधरोगे? जेल से छूटे अभी चार दिन भी नहीं हुए और बदमाशी करने लगे.”
“मैंने कुछ नहीं किया. आपका यह सिपाही मुझ से पैसे मांग रहा था. मैंने मना कर दिया तो मुझे पकड़ कर ले आया,” सियार ने अकड़ कर कहा.
“साहब, यह एक बड़ा-सा चाकू लिए बाज़ार में घूम रहा था,” सिपाही ने चाक़ू दिखाते हुए कहा.
“यह झूठ बोल रहा है, यह चाक़ू मेरा नहीं है,” सियार चिल्लाया.
“वहां दीवार के पास खड़े हो जाओ, तुम से मैं बाद में निपटूंगा,” इतना कह इंस्पेक्टर ने भालू से पूछा, “आप कुछ कह रहे थे?”
“हम लोग एक सप्ताह के लिए अचरज वन जा रहे हैं. आप अपने सिपाही से कह दें कि मेरे घर पर निगरानी रखे.”
“अच्छा किया आपने मुझे बता दिया. आप निश्चिंत रहें. बस, जाते समय सारे दरवाज़े, खिड़कियाँ ठीक से अवश्य बंद कर देना.”
“वह तो मैं स्वयं करूंगा. सोचता हूँ सारे गहने और रूपए एक तिजौरी में बंद कर अपने बड़े ट्रंक में रख दूँ और ट्रंक को एक बड़ा सा ताला लगा दूँ.”
“अरे, आप इतनी चिंता क्यों कर रहे हैं, हम हैं न घर की निगरानी करने के लिए.”
“आप ठीक कहते हैं पर मैं तिजौरी को ऐसे बाहर छोड़ के नहीं जा सकता.” इतना कह भालू लौट गया.
भालू की जाते ही इंस्पेक्टर ने सियार की ओर गुस्से से देखा. सियार ने हाथ जोड़ कर इंस्पेक्टर से क्षमा मांगी और कहा कि वह कभी भी, कोई भी गलत काम नहीं करेगा. इंस्पेक्टर ने उसे चेतावनी दे कर जाने दिया.
सियार भागा-भागा लोमड़ के पास आया और बोला, “बॉस, ऐसी खबर लाया हूँ कि सुन कर उछल पड़ोगे.”
“क्या पेड़ों पर पैसे उगने लगे?” लोमड़ ने उसका मज़ाक उड़ाते हुए कहा.
“भालू एक सप्ताह के लिये अचरज वन जा रहा है. उसके जाते ही हम उसके घर में चोरी करेंगे और उसकी तिजौरी में रखा सारा माल चुरा लेंगे.”
सियार ने यह न बताया कि भालू ने पुलिस इंस्पेक्टर से कहा था कि उसके घर पर निगरानी रखे.
लोमड़ बहुत खुश हुआ और दोनों ने एक योजना बना ली. जिस रात भालू अचरज वन गया उस रात दोनों चोर भालू के घर के निकट छिप गये. उस रास्ते पर एक पुलिस का सिपाही बीच-बीच में चक्कर लगा रहा था. सियार ने उसकी ओर संकेत किया तो लोमड़ ने भी संकेत कर कहा कि कोई चिंता की बात नहीं.
रात एक बजे भालू के घर के निकट सड़क किनारे खड़ी एक कार में आग लग गई. यह लोमड़ की योजना थी. उस समय पुलिस वाला निकट ही था. वह गाड़ी की ओर भागा और आग बुझाने की कोशिश करने लगा.
सियार और लोमड़ इसी अवसर की प्रतीक्षा कर रहे थे. वह झटपट भालू के घर में घुस गये. भीतर जाकर सियार वह ट्रंक खोजने लगा जिसमे भालू ने अपनी तिजौरी रखी थी.
“तुम्हें कैसे पता कि तिजौरी ट्रंक के अंदर है?” लोमड़ ने फुसफुसा कर पूछा.
“मुझे सब मालूम है, बस तुम चुपचाप खड़े रहो,” सियार ने अकड़ कर कहा. उसने लोमड़ को जानबूझ कर सारी बात न बताई थी.
ट्रंक मिलते ही सियार ने उस पर लगा ताला खोल दिया. ताले खोलने में वह बहुत माहिर था.
ट्रंक के अंदर एक तिजौरी थी. सियार झटपट तिजौरी खोलने लगा, पर तिजौरी खुली ही नहीं.
“इसे ही ले चलते हैं,” लोमड़ ने कहा.
“नहीं, अगर सिपाही आ गया तो इसे कैसे छिपाएंगे?” सियार ने कहा.
“वह तो आग बुझाने में व्यस्त है,” लोमड़ बोला.
“फिर भी हम कोई जोखिम नहीं उठा सकते. धीरज रखो, अभी तिजौरी खुल जायेगी,” सियार ने कहा. तभी तिजौरी खुल गई.
“जल्दी सारा माल निकालो,” लोमड़ ने कहा.
सियार ने तिजौरी में हाथ डाला.
पर यह क्या? भीतर तो कुछ भी नहीं था. सिर्फ एक कागज़ का टुकड़ा था. कागज़ के टुकड़े को सियार के हाथ से छीन कर लोमड़ पढ़ने लगा. उस पर लिखा था, ‘तुम्हारी मेहनत बेकार गई, इस बात का मुझे बड़ा खेद है. मैंने सारे गहने और रूपए कहीं ओर छिपा कर रख दिए हैं. ढूँढने का प्रयास भी न करना. अब समय नष्ट न करो और भागो. पुलिस आती ही होगी-- तुम्हारा शुभचिंतक भालू.’
गुस्से से लोमड़ की आँखें लाल हो गयीं. सियार डर गया. बोला, “मुझे क्या पता था कि भालू इतना धूर्त है. चलो निकल चलो यहाँ से, कहीं पुलिस न आ जाये.”
“उस गाड़ी पर मैंने दस हज़ार खर्च कर दिये थे और हमें मिला क्या?” लोमड़ गुस्से से चिल्लाया.
वह सियार को पीटने ही वाला था कि पुलिस इंस्पेक्टर आ पहुंचा. उसे देख कर दोनों चोरों की सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई.
“तुम दोनों ने योजना तो अच्छी बनाई थी. कार में आग लगा दी और हमारा सिपाही आग बुझाने लग गया, तुम यहाँ भीतर घुस आये. पर सिपाही ने मुझे फोन कर के तुरंत सूचना दे दी थी. मुझे लगा कि कुछ तो गड़बड़ है और मैं तुरंत आ पहुंचा.”
लोमड़ और सियार की बोलती बंद हो गयी थी. दोनों अपने को बहुत चालाक समझते थे. पर इस बार मात खा गये थे. भालू ने उन्हें चकमा दे दिया था, और इंस्पेक्टर उनकी चाल में न फंसा था. उलटे वह दोनों ही फंस गये थे. इंस्पेक्टर ने दोनों को हथकड़ी लगा दी और पुलिस स्टेशन ले आया.
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©आइ बी अरोड़ा
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