भूखा भेड़िया
एक भेड़िया था. पाँच दिनों से वो शिकार की तलाश में जंगल में यहाँ-वहां भटकता रहा था. पर बहुत भाग-दौड़
करने के बाद भी वो एक गिलहरी भी पकड़ न पाया था.
भूख से बेहाल हो कर
उसने पास के गाँव में जाने की बात सोची. भेड़िये गाँव के अंदर नहीं जाते थे. उन्हें आदमियों से डर लगता था.
उसने अपने-आपसे कहा, ‘मैं खूब होशियार रहूंगा. बड़ी सावधानी के साथ एक मुर्गा या बकरी पकड़ कर ले आउंगा. अधिक लालच न करूंगा.’
उसने अपने-आपसे कहा, ‘मैं खूब होशियार रहूंगा. बड़ी सावधानी के साथ एक मुर्गा या बकरी पकड़ कर ले आउंगा. अधिक लालच न करूंगा.’
गाँव पहुँच कर वह चालाकी
के साथ एक घर के भीतर आया. उसे एक बकरी दिखाई दी, वह बकरी पर झपटा मारने ही वाला
था कि बकरी ने धीमे से कहा, ‘मुझे खाने की बात सोचना भी मत. मुझे निमोनिया हो रखा
है. मेरे फेफड़े पूरी तरह गल चुके हैं. अगर तुमने मुझे खा लिया तो तुम्हें भी
निमोनिया हो जायेगा. तुम्हारे फेफड़े गल जायेंगे और तुम मर जाओगे.’
भेड़िया रुक गया. निमोनिया शब्द ही उसने सुन न रखा था. वह जानता न था
कि निमोनिया क्या बला है. वह डर गया. बकरी को छोड़ वो चुपचाप वहां से चला गया.
अगले घर में उसने एक
भेड़ देखी. वह धीरे-धीरे भेड़ की ओर रेंगने लगा. भेड़ ने उसे देख लिया और कहा, ‘जल्दी से कहीं छिप जाओ. शिकारी कुत्ते आते ही होंगे. उनसे बच कर रहना, सब के
सब बहुत खतरनाक हैं. देर मत करो और यहीं कहीं छिप जाओ और अपनी जान बचाओ.’
शिकारी कुत्तों का सामना करने का उसमें साहस न था. वह झटपट वहां से भाग खड़ा हुआ.
अगले घर में एक
मुर्गा था, खूब मोटा-ताज़ा. मुर्गे को देख भेड़िये के मुहं में पानी आ गया. उसने मन ही मन कहा, ‘इसे
तो मैं खा ही जाउंगा.’
भेड़िये को देखते ही
मुर्गा चिल्लाया, ‘अरी ओ डायन, आज तुम ने भेड़िये का भेष बना रखा है. तुम कोई भी
भेष बना लो पर तुम बच नहीं सकती. मैंने तुम्हें पहचान लिया है. तुम डायन ही हो. मेरा मालिक कब से
तुम्हें ढूंढॅ रहा है. वह तुम्हें पकड़ कर पेड़ से बाँध देगा और आग लगा देगा. मैं अभी उसे बुलाता
हूँ.’
इतना कह मुर्गे ने
ज़ोर से चिल्लाया, 'डायन आ गई, डायन आ गई.'
भेड़िये के होश उड़ गये और वह दुम दबा कर भाग खड़ा हुआ. वह बहुत थक चुका था और भूख के मारे उसका बुरा हाल हो गया था.
भेड़िये के होश उड़ गये और वह दुम दबा कर भाग खड़ा हुआ. वह बहुत थक चुका था और भूख के मारे उसका बुरा हाल हो गया था.
उसने एक घर के भीतर झाँक कर देखा. वहां उसने एक मोटा-ताज़ा सूअर देखा.
‘इसे तो मैं नहीं
छोडूंगा. मैं इसकी कोई बात नहीं सुनूंगा,' उसने मन ही मन कहा.
सूअर ने भेड़िये की
ओर देखा और बिना किसी डर के मुंह मोड़ कर खड़ा हो गया. भेड़िये को गुस्सा आ गया.
‘इसकी इतनी हिम्मत,
मेरी ओर अपनी पीठ कर दी. अभी मज़ा चखाता हूँ.’
इतना कह भेड़िया सूअर
पर झपटा. तभी एक धमाका-सा हुआ. एक गर्म, बुद्बुदार हवा का गोला भेड़िये से आ
टकराया.
सूअर ने अपने पेट में भरी पवन को मुक्त कर दिया था, वह पवनमुक्त आसन जो करने लगा था.
सूअर द्वारा छोड़े इस 'रासायनिक बम' को बेचारा भूखा भेड़िया सह न पाया और वहीँ ढेर हो गया.
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