डर तो लगा(भाग 2)
पुरानी हवेली के
रास्ते में एक बहुत चौड़ी नदी थी. नदी के ऊपर एक पतला-सा पुल था. जैसे ही दोनों पुल
के ऊपर आये उनके होश उड़ गये. पुल के बीचों-बीच एक ट्रक उलटा हुआ था. ट्रक के दोनों
ओर गाड़ियों की लंबी कतार लगी थी.
‘जल्दी कार घुमाओ और
वापस चलो. यहाँ जाम में फंस गये तो मुसीबत हो जायेगी. अपने दूसरे की ओर अड्डे चलते
हैं,’ लोमड़ ने सियार से कहा.
‘वापस कैसे जाएँ? देखते
नहीं, पीछे भी गाड़ियों की लाइन लग गई है.’
‘कुछ तो करो, यहाँ
खड़े रहे तो गड़बड़ हो जायेगी. अगर
किसी को ज़रा-सा भी संदेह हो गया तो फंस जायेंगे.’ लोमड़ ने बौखला कर कहा.
‘डरो नहीं कुछ न
होगा.’ सियार ने कह तो दिया परन्तु पसीने तो उसके भी छूट रहे थे.
अचानक सियार कार से
बाहर आ गया. वह थोड़ा घबरा गया था और चुपचाप वहां से खिसकने की बात सोच रहा था.
‘कहाँ जा रहे हो?
कार में बैठ जाओ,’ लोमड़ ने झिड़कते हुए कहा.
‘मैं आगे जाकर देखता
हूँ कि पुल पर क्या हो रहा है,’ सियार ने कहा.
‘कार में बैठे जाओ और
कोई तमाशा न करो,’ लोमड़ ने गुस्से से कहा.
सियार लोमड़ से डरता
था. वो लोमड़ से उलझना न चाहता था. चुपचाप कार में आकर बैठ गया.
सब गाड़ियां
धीरे-धीरे आगे बढ़ रहीं थीं. उलटे हुए ट्रक के पास थोड़ा-सा रास्ता ही खाली था जहां
से दोनों ओर रुकी गाड़ियां एक-एक कर निकल रहीं थीं.
लगभग आधे घंटा बाद
ही दोनों वहां से निकल पाये.
‘आज किस्मत ने साथ
दे दिया. न ही इस बन्दर के बच्चे को होश आया और न ही किसी को हम पर संदेह हुआ,’
लोमड़ ने राहत की सांस लेते हुए कहा.
‘अब पुरानी हवेली
पहुँच कर ही दम लूंगा,’ इतना कह सियार ने कार की रफ्तार तेज़ कर दी.
पर तभी दोनों को
साईरन की आवाज़ सुनाई दी. सियार ने एक पुलिस जीप को बड़ी तेज़ी से अपने पीछे आते
देखा.
‘फंस गये, यह जीप
हमारा पीछा कर रही है,’ सियार ने सहमी आवाज़ में कहा.
‘हमारा पीछा क्यों
करेगी? कोई नहीं जानता कि हमने उस बन्दर के बच्चे का अपहरण किया है, कार चलाते
रहो,’ लोमड़ ने अकड़ते हुए कहा. पर मन ही मन वह भी डरा हुआ था. सियार ने कार की
रफ्तार बढ़ा दी पर पुलिस जीप उससे भी तेज़ रफ़्तार से पीछे आती रही. जल्दी ही पुलिस
जीप आगे निकल आई. जीप में बैठे इंस्पेक्टर ने हाथ से संकेत किया और सियार को अपनी
कार रोकनी पड़ी.
तभी लोमड़ को लगा कि
रिंकू होश में आ चुका है. उसने अपना चाक़ू रिंकू की गर्दन पर रख दिया और धीमे से
कहा, ‘चुपचाप कम्बल के नीचे लेटे रहो. अगर ज़रा से भी हिल्ले-डुल्ले तो इस चाक़ू से
तुम्हारा गला काट दूँगा.’
रिंकू सहम गया और
चुपचाप लेटा रहा. मन ही मन वह प्रार्थना कर रहा था कि पुलिस कार की तलाशी ले और वह
बच जाये.
इंस्पेक्टर होशियार
सिंह ने पास आकर गुस्से से पूछा, ‘कार इतनी तेज़ क्यों चला रहे थे? जुर्माना भरना
पड़ेगा.’
(कहानी का अंतिम भाग
अगले अंक में)
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