Friday, 15 August 2014

स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाओं के साथ
जंगल में हड़ताल
जंगल में जब हुई हड़ताल
भेड़िये ने की जांच पड़ताल
एक-एक कर सब को बुलाया
सब को मीठा जलपान कराया
एक-एक कर पूछा सब को
“कष्ट क्या है, बतलाओ मुझको”
सब ने मिलकर यही कहा
“अब तक हमने बहुत सहा
जंगल की राजा की मनमानी
अब न सहेंगे यही है ठानी”
सुन कर यह भेड़िया घबराया
सिंहासन था उसने से हथिआया
उसने सब को खूब धमकाया
सब पर अपना रौब जमाया
लालच भी कुछ दिया उसने
गुस्सा भी दिखलाया उसने
पर अब चली न उसकी एक
जंगल वासी सब हुए थे एक
एकता का सबने फल पाया
दुष्ट भेड़िये को मार भगाया
स्वतन्त्रता अब पाई सब ने
मिल कर रहेंगे ठानी मन में

© आई बी अरोड़ा 

4 comments:

  1. I was smiling all the way while reading this....bohot sundar rachna hai yeh.

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  2. Nice one... Looking forward to reading more such wonderful pieces

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