अब आएगा मज़ा
(बच्चों के लिए कहानी)
अचरज वन में कई महीनों से वर्षा न हुई थी. लगभग सभी तालाब और पोखर
सूख गये थे. पानी की कमी हो गई थी. जंगल का राजा शेर सिंह चिंतित था. उसने शंकर
हाथी से चर्चा की. शंकर बहुत बुद्धिमान था. उसने कहा, “सब को मिलकर इस समस्या को
सुलझाना होगा. आप पशुओं की एक सभा बुलाओ.”
शेर सिंह को शंकर का सुझाव ठीक लगा. उसने चिम्पू बन्दर को आदेश दिया, “बड़े पीपल पर एक नोटिस लगा दो. कल शाम चार बजे
सब सभा में उपस्थित रहें.”
चिम्पू बन्दर ने एक नोटिस तैयार किया, पर लिखते-लिखते उस नटखट को एक
शरारत सूझी. उसने सभा का समय सुबह चार बजे का लिख दिया. पीपल पर नोटिस लगाने के
बाद उसने मन ही मन कहा, “अब आएगा मज़ा. सब सुबह चार बजे इकट्ठे हो जायेंगे और वनराज
से डांट खायेंगे.”
चिम्पू बन्दर अपनी चतुराई पर इतरा रहा था पर उसे पता न था कि अपनी
छोटी सी गलती के कारण वह स्वयं फंसने वाला था.
उधर जंगल में जिस ने भी नोटिस पढ़ा वह बहुत हैरान हुआ.
“यह तो मुसीबत है, सुबह चार बजे उठाना पड़ेगा,” भोला भालू ने कहा.
“नहीं भाई, तीन बजे उठेंगे तो ही तैयार होकर चार बजे सभा में उपस्थित
हो पायेंगे,” सियार ने कहा.
“मैं तो छह बजे से पहले उठ ही नहीं पाता,” खरगोश बोला.
“मैं तो सभा मैं नहीं जाऊँगा,’’ लोमड़ बोला. नोटिस पढ़ कर वह बौखला गया
था.
हर कोई गुस्से में था पर सभा में न जाने का साहस किसी में न था.
इसलिए सब चार बजे वनराज की गुफा के बाहर इकट्ठे हो गये. सब अपने राजा की प्रतीक्षा
करने लगे. आधा घंटा बीत गया पर शेर गुफा से बाहर ही ना आया.
भालू से न रहा गया. वह ऊंची आवाज़ में बोला, “यह तो अन्याय है. हम चार
बजे से यहाँ प्रतीक्षा कर रहे हैं और लगता है हमारे राजा अभी गहरी नींद सो रहे
हैं”.
“ज़रा धीरे बोलो, महाराज ने सुन लिया तो नाराज़ हो जायेंगे,” सियार ने
कहा.
“मैं किसी से डरता नहीं हूँ. अगर वह पाँच मिनट में बाहर न आये तो मैं
ही भीतर जा कर शिकायत करूंगा,” भालू ने कहा.
शेर सिंह मज़े से सो रहा था. अचानक उसकी नींद खुल गई.
“बाहर इतना शोर क्यों है? लगता है कुछ गड़बड़ है,” शेर ने अपने आप से
कहा. बाहर आकर देखा कि वन के सब पशु इकट्ठा हो रखे थे. उसे बड़ा आश्चर्य हुआ.
गुस्सा भी आया.
“क्या तमाशा लगा रखा है? यहाँ क्यों इकट्ठे हो रखे हो?”
“हम यहाँ चार बजे से आपकी प्रतीक्षा कर रहे हैं. आप स्वयं देर से आये
हैं और हम पर ही गुस्सा हो रहे हैं,” भालू ने भी ऊंची आवाज़ में कहा.
“पर तुम सब इस समय क्यों आये हो?”
“आप ने ही तो पशुओं की सभा बुलाई है,” सियार ने दबी आवाज़ में कहा.
“सभा तो शाम चार बजे बुलाई है, अभी आकर मेरी नींद क्यों खराब की?”
शेर ने आँखें तरेरते हुए कहा.
“पर महाराज, नोटिस में तो सुबह चार बजे का समय लिखा था,” भेड़िये ने
कहा.
“अरे, तुम सब से भूल हो गई है. शाम चार बजे का समय लिखा था,” शेर
सिंह ने थोड़ा नरमी से कहा.
“अब समझ आया, यह सब उस शरारती बन्दर की करामात है,” भोला ने कहा.
“कहाँ है चिम्पू बन्दर?” वनराज ने पूछा.
सब इधर-उधर देखने लगे. चिम्पू तो वहाँ था ही नहीं. वह तो अपने घर में
सो रहा था.
“उसे पकड़ कर अभी यहाँ लाओ,” राजा ने आदेश दिया.
भेड़िया और सियार दौड़े और चिम्पू को तुरंत ही पकड़ कर वनराज के सामने
ले आये.
“तुमने नोटिस में सभा का क्या समय लिखा था?” शेर सिंह ने गरज कर
पूछा.
“महाराज, वही जो आपने कहा था,” बन्दर बोला.
“क्या मैंने सुबह चार बजे का समय कहा था?” शेर सिंह गरजा.
“महाराज, क्या सुबह चार बजे भी सभा बुलाई जाती है? आपने शाम चार बजे का समय कहा था, वही समय मैंने
नोटिस में लिखा था,” बन्दर ने बड़े भोलेपन से कहा.
“यह झूठ बोल रहा है,” सारे पशु एक साथ बोले.
“महाराज, आप स्वयं चल कर देख लें, नोटिस अभी भी पेड़ पर लगा है,’
बन्दर ने अकड़ कर कहा.
जंगल का राजा तेजी से बड़े पीपल की ओर चल दिया. सारे पशु पीछे-पीछे
भागे आये. पीपल पर नोटिस लगा था. शेर सिंह ने नोटिस घ्यान से पढ़ा.
“क्या तुम सब अनपढ़ हो? इस में लिखा है कि सभा शाम चार बजे बुलाई गई
है,” शेर सिंह ने चिल्ला कर कहा.
कई पशु एक साथ आगे आये और नोटिस को पढ़ने लगे. सब की सिट्टी-पिट्टी गम
हो गई. सभा का समय शाम चार बजे ही लिखा था. सब एक-दूसरे का मुँह ताकने लगे. सब
घबराए हुए थे. वह जानते थे कि गुस्से मैं वनराज अपना आपा खो बैठते थे और उन्हें
कोई भी दंड दे सकते थे. सिर्फ चिम्पू बन्दर प्रसन्न था.
तभी खरगोश आगे आया और बोला, “महाराज, मैं आपको कुछ दिखाना चाहता
हूँ.”
सब उत्सुकता से उसकी ओर देखने लगे. खरगोश ने शेर सिंह के सामने कागज़
के चार टुकड़े रखे. उसने कहा, “महाराज, ज़रा चिम्पू से पूछें कि यह क्या है.”
वनराज के संकेत पर चिम्पू आगे आया. कागज़ के टुकड़े देख कर उसके होश उड़
गये.
“यह क्या है?” शेर सिंह ने पूछा.
बन्दर की बोलती बंद हो गई थी. तब खरगोश ने कहा, “महाराज, यह उस नोटिस
के टुकड़े हैं जो चिम्पू ने कल लगाया था और जिसे सब ने पढ़ा था. इसमें सभा का समय सुबह चार का लिखा है. रात में इसने
यह नोटिस हटा कर दूसरा नोटिस लगा दिया, जो अभी भी पेड़ पर लगा है. इस ने यह जानबूझ
कर किया. हम सब मूर्ख बन गये और सुबह चार बजे सभा के लिए इकट्ठे हो गये. यह शरारती
बन्दर बस एक छोटी भूल कर बैठा. पुराने नोटिस को फाड़ कर उसके टुकड़े मेरे घर के निकट
फेंक दिए. आज सभा के लिए आते समय मेरी नज़र इन पर पड़ी तो मैंने इन्हें संभाल कर अपने
साथ ले आया.”
“क्या यह सच है?” वनराज ने कड़क आवाज़ में चिम्पू से पूछा. पर वह क्या
कहता उसकी पोल तो खुल चुकी थी.
वनराज को इतना गुस्सा आया कि उसको पूंछ से पकड़ कर उल्टा लटका दिया.
चिम्पू डर से चिल्लाने लगा.
“महाराज, इसे क्षमा कर दें. बेचारा मर जाएगा,” शंकर हाथी ने कहा.
“आज तो मैं इसे माफ़ कर रहा हूँ, लेकिन अगर इसने दुबारा ऐसी शरारत की
तो मार-मार कर मैं इसके दो कानों की बीच एक सिर कर दूँगा.”
वनराज की बात सुन सब ज़ोर से हँस दिए. तभी एक आश्चर्यजनक घटना घटी.
अचानक बादल गिर आये और वर्षा होने लगी. सब नाच उठे.
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अति रोचक लघु कथा जिसको पढ़ कर नन्हे मुन्ने हंसते हंसते नाचने लगेंगे।
ReplyDeletethanks
DeleteNice story!
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