Monday, 29 November 2021

 

पत्थर का योद्धाभाग 12

(बच्चों के लिए लंबी कहानी)

जब राजा और वह सैनिक बातें कर रहे थे, डॉक्टर ज़ोरान के शव की जांच कर रहा था. डॉक्टर ने कहा, ‘महाराज, हमें ज़ोरान की अंतिम इच्छा पूरी करनी चाहिये. अब अगर आप अनुमति दें तो मैं ज़ोरान के शव को अपने अस्पताल ले जाना चाहूँगा.’

इसका अंतिम संस्कार चुपके से लेकिन राजकीय सम्मान के साथ किया जाए?’

डॉक्टर ने सर हिला कर हामी भरी. राजमहल पहुँच कर राजा ने देश के सबसे प्रसिद्ध मूर्तिकार को बुलाया और कहा, ‘तुरंत ज़ोरान की मूर्ति बनाओ. पत्थर की मूर्ति, मूर्ति ऐसी होनी चाहिये कि देखने वाले को लगे कि वह मूर्ति को नहीं, स्वयं ज़ोरान को देख रहा है. अपनी कला का भरपूर प्रयोग करो और एक सजीव मूर्ति बनाओ, इस कार्य में बिलकुल देरी नहीं होनी चाहिए.

मूर्तिकार ने राजा को निराश न किया. जो मूर्ति उसने बनाई उसे देख कर स्वयं राजा भी दंग रह गये. उन्हें लगा कि जैसे ज़ोरान ही उनके सामने खड़ा था और अभी उनसे बात करने लगेगा.

राजा ने मूर्तिकार की खूब प्रशंसा की और उसे पुरूस्कार भी दिया. उस मूर्ति को पूर्वी चौकी के निकट स्थापित कर दिया गया. जो कोई भी उधर से आता-जाता उसे लगता कि ज़ोरान स्वयं चौकी के निकट खड़ा सीमा की निगरानी कर रहा था.

ब्राशिया के गुप्तचर भी धोखा खा गये. वह भी समझे की ज़ोरान के घाव ठीक हो गये थे और वह स्वयं सीमा की निगरानी करने लगा था. गुप्तचरों ने अपने राजा को सूचना दी. ब्राशिया के राजा का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया. वह समझ गया की वीलीयन ने उससे झूठ कहा था.

लड़ाई के बाद वीलीयन ने कहा था कि ज़ोरान गम्भीर रूप से घायल था और वह बच न पायेगा. फिर कुछ दिनों के बाद उसने राजा यंगहार्ज़ से कहा था, ‘महाराज, कुछ चरवाहे मेरे लिए तलाविया में जासूसी करते हैं, उन्होंने सूचना भिजवाई है कि ज़ोरान मर गया है. तलाविया के राजा स्वयं अपना डॉक्टर ले कर पूर्वी चौकी आये थे. परन्तु उनके पहुँचने से पहले ही ज़ोरान की मृत्यु हो चुकी थी.’

लेकिन जब ब्राशिया के राजा को पता चला कि ज़ोरान जीवित था और सीमा की निगरानी कर रहा था तो उसका गुस्सा फूट पड़ा. राजा यंगहार्ज़ के आदेश पर वीलीयन को कैद कर लिया गया. उसे मृत्युदंड देने का आदेश दिया.

वीलीयन रोने लगा. राजा से दया की भीख मांगने लगा. पर उसके आंसू देख कर भी राजा का क्रोध कम न हुआ.

फिर कुछ सोच कर राजा ने कहा, ‘मैं तुम्हें एक शर्त पर क्षमा कर सकता हूँ. तुम पूर्वी चौकी जाओ और पता लगाओ कि ज़ोरान जीवित है या मर चुका है. अगर वह जीवित है तो तुम उसे द्वंद युद्ध लड़ने के लिए चुनौती दो और उससे द्वंद युद्ध लड़ो.’

वीलीयन ने झट से राजा की शर्त मान ली. ज़ोरान से लड़ने का उसका कोई इरादा न था. वह तो तलाविया की ओर जाने वाला भी न था. सिर्फ मृत्युदंड से बचने के लिए उसने राजा का आदेश  मान लिया था. उसे तो बस ब्राशिया से भाग जाने का एक अवसर चाहिए था.

यह मत सोचना कि तुम इस बार चकमा दे पाओगे. नीले पंखों वाला पक्षी हर समय तुम पर निगरानी रखेगा और तुम्हारी हर बात, तुम्हारे हर काम की हमें सूचना देता रहेगा. अगर तुम ने इस बार कोई चाल चली तो तुम्हारी मृत्यु निश्चित है,’ ब्राशिया के राजा यंगहार्ज़ ने क्रोध से कहा.

वीलीयन मन ही मन डर गया. उसे पता न था की जादूगर आर्विज़ राजा की सहायता कर रहा था. वीलीयन समझ गया कि इस बार वह बुरी तरह फंस गया था. अब वह बच कर भाग न सकता था. राजा के आदेश का पालन करने के अतिरिक्त उसके पास कोई रास्ता न था.

वीलीयन तलाविया की पूर्वी चौकी आया. चौकी के निकट स्थित चाँद सराय में ही ठहरा. इस बार भी उसने एक सौदागर का भेष बना रखा था. वह सोच रहा था कि शायद रायज़र शराब पीने के लिए सराय में कभी आये; वह फिर से उसे फुसलाने का प्रयास करना चाहता था. परन्तु तलाविया का कोई भी सैनिक अब उस सराय में नहीं आता था.

दिन बीत रहे थे. नीले पंखों वाला पक्षी सदा उसके आस-पास ही रहता था. वह पक्षी कब आता और कब जाता, वीलीयन कभी न जान पाया.

जब वीलीयन को कोई रास्ता न सुझाई दिया तो उसने एक लालची चरवाहे को पैसों का लालच दे कर पूर्वी चौकी की जासूसी करने के लिये तैयार कर लिया. चरवाहे ने बहुत प्रयास किया परन्तु उसे कोई जानकारी न मिली.

ज़ोरान स्वयं सीमा की निगरानी क्यों करता है? वह तो चौकी का नायक है. एक नायक क्यों हर दिन सीमा पर खड़ा रहता है? कोई रहस्य है इस में. हमें इसका पता लगाना ही है. कुछ दिन उस पर कड़ी नज़र रखो,’ वीलीयन ने चरवाहे से कहा.

कुछ दिनों के बाद उस चरवाहे ने बताया कि सीमा की निगरानी ज़ोरान नहीं करता. जिसे सब ज़ोरान समझते थे वह तो पत्थर की मूर्ति थी.

ज़ोरान तो कब का मर चुका है. आप लोगों को मूर्ख बनाने के लिए एक पत्थर की मूर्ति बनवा कर चौकी के निकट स्थापित कर दी गई है. सब उस मूर्ती को देख कर समझते हैं कि ज़ोरान जीवित है और स्वयं सीमा की रक्षा कर रहा है.’

यह जानकारी तुम्हें कहाँ से मिली?’ वीलीयन ने पूछा.

उनकी सेना का एक सैनिक है, जिसे शराब पीने की आदत हो गई थी, नए नायक ने उसे सेना से निकाल दिया था, वह सब जानता है. उसी ने मुझे बताया.’

भाग 11

Thursday, 25 November 2021

 

पत्थर का योद्धाभाग 11

(बच्चों के लिए लंबी कहानी)

ब्राशिया के सैनिक पूरी तैयारी के साथ आये थे, वह बहादुर थे और लड़-मरने को तैयार थे. जब उन्होंने युद्ध के मैदान में ज़ोरान को न देखा तो उनका उत्साह आसमान को छूने लगा. उनके भीषण हमले के आगे तलाविया के सैनिक टिक न पाये और पीछे हटने लगे.

ज़ोरान को जब सूचना मिली कि उसके सैनिक पीछे हटने लगे थे तो उसका क्रोध ज्वालामुखी सामान फट पड़ा. अपने डॉक्टर की चेतावनी को ठुकरा कर वह लड़ाई के मैदान की ओर चल दिया.

डॉक्टर ने कहा था, ‘ज़ोरान, तुम्हारे घावों बहुत खून बह चुका है. अब अगर तुम्हें और घाव लगे तो तुम्हारी मृत्यु निश्चित है. हमें तुम्हारी आवश्यकता है. अगर हम यह चौकी हार भी गये तो क्या? हम इस चौकी को फिर से जीत लेंगे. परन्तु अगर युद्ध में तुम्हारी मृत्यु हो गई तो हम सब पर एक भारी महाविपदा आ पड़ेगी.’

जब तक मैं जीवित हूँ यह चौकी उन्हें जीतने नहीं दूँगा. आप मेरे घावों को अधिक ही तूल दे रहे हैं. पिछली लड़ाइयों में तो मुझे इस से भी गंभीर घाव लगे  थे. आप चिंता न करें मुझे कुछ न होगा. हम शत्रु को हरा कर ही लौटेंगे.’

इतना कह ज़ोरान युद्ध-स्थल पहुँच गया. उसकी सेना तितर-बितर हो चुकी थी. हार निश्चित लग रही थी.

ज़ोरान ऐसा योद्धा था जो किसी भी स्थिति में हार स्वीकार करने को तैयार न था. अपने घाव और पीड़ा को भूल, एक सिंह की भांति वह लड़ाई में कूद पड़ा. उसने एक भयंकर हुंकार लगाईं और अपने साथियों से कहा, ‘वीरो, तुम ने इन कायरों को कई बार मात दी है. यह लोग हमें कभी नहीं हरा सकते. विश्वास रखो, जीत हमारी ही होगी.’

उसकी हुंकार सुन तलाविया के सैनिकों का उत्साह बढ़ गया. वह सब नए जोश के साथ लड़ने लगे.

ज़ोरान स्वयं इतना भीषण युद्ध कर रहा था कि ब्राशिया के सैनिकों की हिम्मत टूटने लगी. पर वह पीछे न हटे. दोनों ओर के कई सैनिक मारे गये. अनेक घायल हो गये.

तलाविया के सैनिकों की संख्या कम थी और हर पल वह संख्या घटती जा रही थी. एक समय आया जब ज़ोरान अकेला रह गया; अन्य सभी सैनिक या तो मारे गये या घायल हो गये. लेकिन भयभीत हुए बिना ज़ोरान अकेले ही ब्राशिया के सैनिकों से लड़ता रहा. वह इतना प्रचंड युद्ध कर रहा था कि अकेले होते हुए भी उसने ब्राशिया के कितने ही सैनिकों को मार गिराया. ब्राशिया का कोई भी योद्धा उस का सामना न कर पा रहा था. 

ब्राशिया के सैनिक बहुत बहादुरी से लड़े पर हार गये. सब मिल कर भी ज़ोरान को हरा न पाये. अपनी जान बचाने के लिए कई सैनिक जंगल में भाग गये. जो भाग न पाये उन्होंने ज़ोरान के सामने घुटने टेक दिए.

वीलीयन चुतराई से लड़ाई के मैदान से पहले ही भाग गया था. पेड़ों के पीछे छिप कर वह सब कुछ देख रहा था. अपनी सेना की हार देख कर उसे अपनी आँखों पर विश्वास न हुआ.

उसने देखा की जो सैनिक जीवित बच गये थे वह सब बहुत भयभीत थे. उन्हें देख कर उसके मन में एक बात आई, ‘यह सैनिक तो इतने डरे हुए हैं कि अब कभी भी ज़ोरान के साथ युद्ध न करेंगे. यह लोग तो अपने सपनों में भी ज़ोरान से डरेंगे.’

उधर ज़ोरान ने एक सैनिक से कहा, ‘तुरंत महाराज के पास जाओ, उन्हें इस हमले की सूचना दो और कहो कि यहाँ कुछ कुमुक भेजें. ब्राशिया की सेना फिर से हमला करने का साहस न करेगी, लेकिन हमें हर स्थिति के लिए तैयार रहना होगा. महाराज को यह भी बताना कि ज़ोरान का अंत समय निकट है, वह महराज के दर्शन करना चाहता है, अगर महाराज आ सकें तो कृपा होगी.’

आप ऐसा क्यों कहते हैं? आप को कुछ न होगा. डॉक्टर अभी आता ही होगा, आप ठीक हो जायेंगे.’ उस सैनिक ने कहा.

तुम समय नष्ट न करो. डॉक्टर अपना काम करेगा. तुम अपना काम करो. देर मत करो और जाओ,’ ज़ोरान को बोलने में भी कठिनाई आ रही थी.

राजा को जब पता चला कि ज़ोरान गंभीर रूप से घायल है तो उन्हें बहुत दुःख हुआ. उन्होंने तुरंत अपने डॉक्टर को बुलाया. उसे साथ ले कर वह तुरंत पूर्वी चौकी आये.

वहां पहुँचने पर उन्हें सूचना मिली कि ज़ोरान की मृत्यु हो चुकी थी.

राजा ने ज़ोरान का शव देखा, ज़ोरान का सारा शरीर घावों से भरा हुआ था. उन घावों को देख कर उन्हें पता चला कि उसने कितनी भीषण लड़ाई लड़ी थी.

इस महान योद्धा को हम प्रणाम करते है, हमें नहीं लगता कि ज़ोरान जैसा योद्धा हमें फिर से मिलेगा,’ राजा ने कहा.

महाराज, मरने से पहले ज़ोरान ने कहा था कि उनकी मृत्यु की सूचना गुप्त रखी जाये. उनके माता-पिता और परिवार से भी यह बात छुपा का रखी जाये,’ एक सैनिक ने महाराज से कहा.

क्यों, ऐसा क्यों कहा था ज़ोरान ने?’ राजा ने पूछा.

ज़ोरान ने कहा था कि इस भीषण युद्ध के बाद शत्रु सपनों में भी उनसे डरेंगे. वह कभी भी हमारे देश पर हमला करने का साहस न करेंगे. परन्तु अगर शत्रु को पता चल गया कि ज़ोरान लड़ाई में मारे गये हैं तो शत्रु का डर जाता रहेगा और उनके सैनिक उत्साहित हो जायेंगे. अगर मृत्यु की सूचना उन्हें नहीं मिलती तो वह वर्षों तक ज़ोरान से डर कर रहेंगे और हमारे देश पर हमला करने का दुसाहस न करेंगे.’

लेकिन कभी न कभी तो यह बात उन्हें पता लग ही जायेगी,’ राजा ने कहा.

ज़ोरान ने कहा कि उनकी एक मूर्ती बना कर चौकी के निकट लगा दिया जाये. शत्रु उस मूर्ती को देख कर समझेंगे कि ज़ोरान जीवित हैं और स्वयं सीमा की निगरानी कर रहे हैं,’ सैनिक ने उत्तर दिया.

भाग 10