नन्हा नटखट हाथी
इक नन्हा हाथी था
बहुत ही नटखट
दौड़ता-भागता रहता था
वो झटपट-झटपट
नानी को इक दिन
उस पर गुस्सा आया
पकड़ उसे
ज़ोर का चपत लगाया
फिर थोड़ा चीख कर
बोली नानी
‘मूर्ख, तुमने एक
बात
अभी तक न जानी
जंगल में हरदम
रहना पड़ता है
होशियार
शत्रु हमारे रहते
हैं
खाने को हरदम तैयार
अपने भाई-बहनों को
देखो
और कुछ सीखो
सदा रहो झुण्ड के
पास
वरना जाओगे खो’
नन्हा हाथी खूब हंसा
नानी की बातों पर
दौड़ने लगा तेज़ी से
वो नटखट इधर-उधर
फिर आँखें मिचकाईं
और कहा नानी से
‘नानी, आज तुम भी
कुछ सीख लो मुझसे
आ जाये अगर शत्रु
सामने
तो इतना करना
नहीं देखना
दायें-बाएं
बस सीधा चलना
जो भागेगा तेज़
उसी के बचने की है
आस
तेज़ भागने का मैं बस
हरदम करता हूँ
अभ्यास’
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©आइ बी अरोड़ा
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