पत्तों का ढेर
वहां उधर जो है
पत्तों का इक ढेर,
वहीं छिप कर बैठा है
इक चालाक शेर.
इकट्ठे कर रखे हैं उसने
ढेर सारे मीठे बेर,
फंसेगा उसकी चाल में
कोई न कोई देर-सवेर.
इक हिरण को अच्छे
लगते थे मीठे बेर,
मीठे बेर खाए पर
हो गई थी बहुत देर.
सपने में भी बेचारे को
दिखते थे अब बेर,
चारों ओर ढेर ही ढेर
बस मीठे मीठे बेर.
हिरण ने देखा वहां
पत्तों का इक ढेर,
उसे लगा वहां रखे थे
बहुत से मीठे बेर.
झट से दौड़ा हिरण
नहीं की कोई देर,
पर उड़ गए होश
जब सामने आ गया शेर.
शेर लपका पर
कर बैठ वो थोड़ी देर,
और बीच में आ गया
पत्तों का इक ढेर.
हिरण भागा छोड़ वहीं
मीठे मीठे बेर,
समझ गया कि यह था
शेर का इक हेर-फेर.
वहां उधर जो है
पत्तों का इक ढेर,
वहीं पड़े हैं ढेर
सारे
मीठे मीठे बेर.
खा रहा इक चतुर बटेर
मज़े से मीठे मीठे
बेर,
छिप गया था वह पत्तों
में
देखा जब उसने इक शेर.
© आइ बी अरोड़ा
No comments:
Post a Comment