अप्रैल फूल
(पहला भाग)
मार्च का अंतिम दिन
था. भेड़िये ने सियार से कहा, “अरे यार, कल किस सज्जन को मूर्ख बनाया जाये.”
“कल क्या ख़ास बात
है?” सियार ने पूछा.
“भूल गये? कल पहली
अप्रैल है. हर वर्ष पहली अप्रैल के दिन हम किसी न किसी को मूर्ख बनाते ही हैं.”
दोनों किसी को मूर्ख
बनाने की योजना बनाने लगे. तभी उन्होंने खिड़की से हिरण को अपने घर जाते हुए देखा.
“क्यों न इसे मूर्ख
बनाया जाये?” सियार ने हिरण की ओर संकेत करते हुए कहा.
“हां, यह बड़ा ही
भोला-भाला प्राणी है. इसे तो सरलता से मूर्ख बना सकते हैं,” भेड़िये ने कहा.
अगले दिन सियार और
भेड़िया मिल कर अपनी अक्ल के घोड़े दौड़ने लगे. परन्तु हिरण को कैसे मूर्ख बनाया जाये,
उन्हें सूझ ही न रहा था.
“अरे, हद हो गई, कुछ
भी नहीं सूझ रहा और दिन निकला जा रहा है,” सियार ने कहा.
“अब तो हिरण बैंक से
वापस भी आ गया होगा,” भेड़िये ने कहा. हिरण ‘अपना बैंक’ में काम करता था.
“अरे हां, वह तो
बैंक में काम करता है. क्यों न हम फोन कर उसे कहें कि आज रात हम ‘अपना बैंक’ लूटने वाले हैं. उसके
होश उड़ जायेंगे, फिर देखना कैसे यहाँ से वहां भागेगा. मज़ा आ जायेगा.”
रात आठ बजे दोनों ने
एक पब्लिक फोन से हिरण को फोन किया. सियार ने अपनी आवाज़ बदल कर कहा, “मेरा नाम
गब्बर सिंह है, आज रात मैं ‘अपना बैंक’ लूटने वाला हूँ. अगर तुम ने यह बात किसी को
बताई तो मैं तुम्हें मार डालूँगा.’
जैसा सियार और
भेड़िये ने सोचा था वैसा ही हुआ. हिरण के होश उड़ गये. उसे समझ ही न आया कि पुलिस को
सुचना दे या फिर अपने मैनेजर को यह बात बताये.
उसकी पत्नी ने पूछा,
“किस का फोन था? इतने घबराये हुए क्यों हो?”
हिरण ने झट से सारी
बात बता दी. बात सुन कर उसकी पत्नी हंस पड़ी और बोली, “भूल गये आज पहली अप्रैल है.
कोई तुम्हें मूर्ख बनाने की कोशिश कर रहा है, अप्रैल फूल. अगर कोई डाकू सच में
बैंक लूटने की सोच रहा है तो वह फोन करके पहले ही क्यों बता देगा?”
“बात तो तुम सच कह
रही हो. मैं यूहीं डर रहा हूँ,” हिरण ने कहा और खाना खाने बैठ गया.
रात दस बजे के
आस-पास हिरण को थोड़ी उलझन होने लगी. उसने सोचा अगर बैंक में सच में चोरी हो गई तो
दोष उस पर भी आयेगा. उसने पत्नी से कहा, “एक बार बैंक का चक्कर लगा ही आता हूँ. सब
ठीक ही होगा पर देख कर तसल्ली हो जायगी.”
आखिर अप्रैल फूल तो बन ही गया
ReplyDeleteइसके लिए प्रतीक्षा करें कहानी के अंतिम भाग की. धन्यवाद योगी
DeleteTrue to style IB has built up suspense. Eagerly awaiting Doosra Bhag.
ReplyDeleteटिपण्णी के लिए धन्यवाद
Deleteरोचक !
ReplyDeleteधन्यवाद
DeleteLovely :)
ReplyDeletethanks archana
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