Monday, 23 March 2015


दीक्षा

भगवान बुद्ध, प्रसन्नता से बैठे, अपने शिष्यों के साथ चर्चा कर रहे थे. तभी एक व्यक्ति ने आकर भगवान बुद्ध पर थूक दिया.

बुद्ध ने एक कपड़े से थूक को पोंछ कर, मुस्कुराते हुए, उस व्यक्ति से पूछा, “भाई, क्या तुम्हें कुछ और कहना है?”

वह व्यक्ति सकपका गया. उसने तो सोच रखा था कि बुद्ध और उनके शिष्य उसे बुरा-भला कहेंगे, उससे झगड़ा करने लगेंगे. पर बुद्ध तो इतने प्यार और आदर से उससे बात कर रहे थे कि जैसे उसने उनका सम्मान किया हो.

उस व्यक्ति को समझ ही न आया कि वह क्या कहे. वह कुछ बोल न पाया और घबरा कर वहां से चल दिया.

उसके जाते ही बुद्ध का एक शिष्य, आनंद, बोला, “भगवन, हम तो आपका सम्मान कर चुप रहे, अन्यथा ऐसे दुष्ट व्यक्ति को तो हम दण्डित करते.”

बुद्ध ने मुस्कुरा कर कहा, “आनंद, मुझे उस व्यक्ति के व्यवहार पर नहीं, तुम्हारे व्यवहार पर आश्चर्य हो रहा है. मेरी शिक्षा का तुम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा लगता. उस व्यक्ति के मन में कोई बात रही होगी, किसी बात पर उसे गुस्सा होगा, शायद मुझ पर चिल्लाने से या मुझे गाली देने से उसके मन की फांस न निकलती होगी, इसी कारण उसने मुझ पर थूक दिया. मुझ पर थूक कर उसने अपने मन की फांस निकाल ली. पर तुम्हें क्या हुआ? तुम्हें तो अपने मन को अपने वश में रखना चाहिये. ऐसा व्यवहार मेरे शिष्य को शोभा नहीं देता”

भगवान बुद्ध की बात सुन आनंद को बहुत ग्लानि हुई. उसे अपनी भूल का अहसास हुआ.

उधर जिस व्यक्ति ने बुद्ध पर थूका था वह बुद्ध के विनम्र व्यवहार से विचलित हो गया था. उसे लग रहा था की उसने बहुत बड़ी भूल कर दी थी. उसे अपने अभद्र व्यवहार पर पछतावा होने लगा. वह रात भर सो न पाया और दिन होते ही बुद्ध के आश्रम की ओर दौड़ा.

आश्रम में वह भगवान बुद्ध के चरणों में झुक गया और अपनी भूल की क्षमा मांगने लगा.

बुद्ध ने कहा, “जिसे तुम ने अपमानित किया था वह मैं नहीं हूँ, वह पुरुष तो कब जा चुका. हम सब हर पल, हर घड़ी बदल रहे हैं, नवीन हो रहे हैं, जैसे गंगा हर पल, हर घड़ी बदलती रहती है. जिस गंगा में तुम एक बार उतरते हो उस गंगा में तुम दुबारा कभी नहीं उतर सकते. मैं वह पुरुष नहीं है जिस पर कल तुम ने थूक दिया था. तुम भी वह व्यक्ति नहीं हो जिसने बुद्ध पर थूका था. इसलिये तुम्हें मुझ से क्षमा मांगने की कोई आवश्यकता नहीं. जाओ और अपने मन कोई भी फांस न रखो.”

भगवान बुद्ध की बातों ने उस व्यक्ति को इतना प्रभावित किया कि उसने भगवन से दीक्षा ले ली.


2 comments:

  1. आत्म शुद्धि के लिये प्रेरित करती बहुत सुन्दर नीति कथा ! इसे सबसे शेयर करने के लिये आभार !

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