Thursday, 8 January 2015


सज़ा
(अंतिम भाग)
(कहानी का पहला भाग आप यहाँ पढ़ सकते हैं)

“लगता है की हिरण और उसकी पत्नी के अतिरिक्त कोई और भी घर में है,” श्रीमान सियार ने अपने आप से कहा. “शायद शाम के समय कोई इनके घर आ गया होगा”.
पर वह ज़रा भी न घबराया. हिरण और अन्य लोगों की आवाजें सुन कर सियार समझ गया कि वह सब भीतर बातें करने में बहुत मग्न थे, इतने मग्न कि उन्हें घर की सुरक्षा का रति भर ध्यान नहीं था.
“ऐसे भोले-भाले लोगों के सहारे ही तो हम चोरों का धंधा चलता है. अगर सभी लोग सतर्क रहने लगे तो हमारा क्या होगा. लगे रहो भाइयों अपनी गपशप में और मुझे अपना काम करने दो.” श्रीमान सियार ने मन ही मन कहा.     
श्रीमान सियार ने बिना कोई खटका किये दस लाख रूपये चुरा लिए. इतना ही नहीं उसे और भी कई कीमती वस्तुयें चुराने के लिए मिल गयीं. सारा सामान अपने बैग में भरकर वह चुपचाप वहां से चल दिया. मन ही मन वह बहुत प्रसन्न था. इतना बड़ा हाथ उसने आज तक न मारा था.
“इतिहास मैं मेरा नाम अवश्य लिखा जाएगा. इस नगर में आज तक किसी ने इतनी बड़ी चोरी नहीं की होगी,” इतरा कर उसने अपने आप से कहा. 
पर तभी अचानक वह ठिठक कर रुक गया. उसके कान खड़े हो गये, भीतर कहीं कोई संता बंता का एक चुटकुला जो सुना रहा था. श्रीमान सियार को संता बंता के चुटकुले बहुत अच्छे लगते थे. उसे स्वयं भी कई चुटकुले याद थे. अपने मित्रों को संता बंता के चुटकुले सुना कर वह खूब हंसाया करता था.
श्रीमान हिरण को मिलने उसका बचपन का मित्र श्रीमान भालू आया हुआ था. वह रात भर उसके साथ ही रहने वाला था. खाना खाकर वह दोनों ड्राइंग रूम में बैठे गपशप कर रहे थे. श्रीमान भालू को भी संता बंता के चुटकुले अच्छे लगते थे. उसके कहने पर ही हिरण अपने मित्र को चुटकुले सुना रहा था.
जो चुटकुला हिरण सुना रहा था वह चुटकुला श्रीमान सियार ने पहले कभी न सुना था. चुटकुला खूब मज़ेदार था. चुटकुला सुन कर वह खिलखिला कर हंस दिया. पल भर  को वह भूल ही गया की वह चोरी करने आया था और उसके हाथ में चोरी किये हुए रुपयों और वस्तुओं से भरा बैग था.
श्रीमान सियार के हंसने की आवाज़ भालू ने सुनी तो उसे आश्चर्य हुआ. उसने धीमी आवाज़ में हिरण से पूछा, “क्या हम तीनों के अतिरिक्त भी कोई घर में है?”
“नहीं, क्यों?” हिरण ने सियार के हंसने कि आवाज़ न सुनी थी.
“एक और चुटकुला सुनाओ,” भालू ने धीमे से कहा.
हिरण चुटकुला सुनाने लगा. पर भालू चुटकुला न सुन रहा था. वह तो चुपचाप उस ओर आया जहां से हँसने की आवाज़ आई थी. वहां उसने देखा कि एक सियार दरवाज़े की ओट में खड़ा, चुटकुले सुन रहा था. उसे देखते ही भालू सारी बात समझ गया.
श्रीमान भालू ने झपट कर उसे पकड़ लिया. अब श्रीमान सियार को होश आया. उसे विश्वास ही न हुआ की वह पकड़ा गया है. जीवन में पहली बार वह चोरी करते हुए पकड़ा गया था.
“अरे भइया, चुटकुले इतने अच्छे लगते हैं तो पास बैठ कर सुनो, वहां छिप कर क्यों न रहे थे?” श्रीमान भालू ने श्रीमान सियार को रस्सी से बांधते हुए कहा.
भालू हंस रहा था पर हिरण की हालत खराब थी. बैग में रखा चोरी का सामान देख कर उसके हाथों के तोते उड़ गये थे.
“यह सारा सामान और रूपए चोरी हो जाते तो हम बरबाद हो जाते. हमारा क्या होता? बेटी का विवाह कैसे होता?” हिरण ने रोते हुए कहा.
“जब चोरी हुई ही नहीं, तो इस तरह रोने का क्या अर्थ है? परन्तु इतने पैसे घर में रखने नहीं चाहिये, अगर किसी कारण रखने पड़ें तो सावधान रहना चाहिये.”  भालू ने थोड़ा डांटते हुए समझाया.
इस बीच भालू ने पुलिस को फ़ोन कर दिया था. इंस्पेक्टर होशियार सिंह तुरंत आ पहुंचा. सियार को देख, इंस्पेक्टर उछल पड़ा, “आज आपने बहुत होशियारी और बहादुरी का काम किया है. यह बदमाश पहली बार हमारे हाथ लगा है, वह भी रंगे हाथों, क्या बात है.”
“होशियार सिंह जी, यह हमारी होशियारी का परिणाम नहीं है. यह चोर तो आसानी से यहाँ से खिसक सकता था, बेचारा एक चुटकुला सुन कर हंस बैठा और पकड़ा गया.” भालू ने कहा.  
श्रीमान सियार मन ही मन अपने के कोस रहा था, “मैं तो सोच रहा था कि इतनी बड़ी चोरी कर के इतिहास में अपना नाम लिखाऊँगा. सब चोर मुझ से ईर्षा करेंगे, मेरा गुणगान करेंगे. और मैं मूर्ख एक चुटकुला सुन कर हंस बैठा और पकड़ा गया. नाम तो अब भी इतिहास में लिखा जायेगा पर किसी और कारण. लिखा जायेगा, ‘श्रीमान सियार, संसार का सबसे मूर्ख चोर’.”
और हुआ भी यही. जल्दी ही सबको पता चल गया कि सियार चोरी करते हुए पकड़ा गया क्योंकि चोरी करने के बाद वह चुटकुले सुनने बैठ गया था और चुटकुले सुन कर खिलखिला कर हंस पड़ा था.
आजकल श्रीमान सियार जेल में कैद अपराधियों को संता बंता के चुटकुले सुनाने का काम करता है. यह सज़ा उसके जेल के साथियों ने उसे दी है.

© आई बी अरोड़ा

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