Saturday, 23 March 2024

 

चाँदनी महल

का

रहस्य

(तीसरा भाग)

अपहरण

जो कागज़ उस वृद्ध ने रजत को पढ़ने के लिए दिया था उस पर किसी का पता लिखा था. उस पर तो एक धमकी लिखी थी.

चुपचाप मेरे साथ चलो नहीं तो मैं तुम्हें बेहोश कर के ले जाऊँगा. मैं तुम्हें कोई कष्ट नहीं पहुँचाना चाहता. मुझे तो बस थोड़ी सी जानकारी चाहिए.’

इस बीच बूढ़े ने रजत का एक हाथ मज़बूती से पकड़ लिया था. उसके दूसरे हाथ में एक रुमाल था. उस रुमाल की ओर उसने अपनी आँखों से संकेत किया. बूढ़े ने बड़ी कठोर लेकिन धीमी आवाज़ में कहा, चिल्लाने की कोशिश भी करना. यहाँ कोई तुम्हारी सहायता नहीं करने आएगा. कोई आया भी तो मैं उसे मार डालूँगा. चार आदमियों को मैं पहले ही मार चुका हूँ. तुम्हें भी मार सकता हूँ.

रजत सोच रहा था कि इस स्थिति में उसे क्या करना चाहिए. उसने मन ही मन कहा, ‘बूढ़े ने अपने रुमाल में अवश्य ही क्लोरोफॉर्म या ऐसी ही कोई दवा लगा रखी होगी. अगर यह मुझे मूर्छित करके ले गया तो मुझे पता चलेगा कि यह आदमी मुझे कहाँ ले जा रहा है. फिर वहाँ से बचने की संभावना कम हो जायेगी. और यह सच ही कह रहा है, अगर मैं चिल्लाया तो शायद ही कोई मेरी सहायता करने आये. कोई पुलिस वाला भी आसपास दिखाई नहीं दे रहा. अगर इसके पास कोई पिस्तौल या चाकू हुआ तो यह मुझे घायल भी कर सकता है. इसके साथ चलने में ही समझदारी हैअवसर मिलते ही भागने की कोशिश करूँगा.

रजत बूढ़े के साथ चल दिया. वह उसे एक कार की ओर ले गया. रजत को कार के अंदर धकेल कर उसने हाथ में पकड़े रुमाल से रजत का मुँह दबा दिया. रजत ने खूब हाथ-पाँव मारे पर वह कुछ कर सका और शीघ्र ही मूर्छित हो गया. रजत को पिछली सीट पर लिटा कर कार को तेज़ी से चलाता हुआ वह आदमी नगर से नगर से दूर गया.

एक सुनसान जगह में बूढ़े ने कार रोक दी. रजत अभी भी मूर्छित था. बूढ़ा उसकी मूर्छा दूर होने की प्रतीक्षा करने लगा.

रजत को जब होश आया तो उसने देखा कि बूढ़ा उसके साथ ही बैठा था और उसने अपने हाथ में एक बड़ा चाकू पकड़ रखा था. बूढ़े ने चाकू की नोक को रजत के गले पर दबाया और कहा, चाँदनी महल में उ भिखारी से तुम्हारी क्या बात हुई थी?

रजत आश्चर्यचकित हो गया, उसे समझ आया कि इस आदमी को कल की घटना के बारे में कैसे पता लगा था. वह डरा हुआ था, परन्तु उसने इतनी विषम स्थिति में भी अपना साहस खोया और बोला, कौन सा भिखारी? मुझे कुछ समझ नहीं रहा. ओफ्, मेरा सिर चकरा रहा है.

बूढ़े ने चाकू की नोक को थोड़ा और दबाया. उसने धमकाते हुए कहा, वही भिखारी जिसने चाँदनी महल में तुम्हें पकड़ लिया था. उससे तुम्हारी क्या बात हुई थी?

बूढ़े का डरावना चेहरा देख कर रजत थोड़ा भयभीत हो गया. बूढ़े के मुँह से बदबू रही थी, शायद उसने शराब पी रखी थी. डर कर रजत झट से बोला, मैं तो पत्र देने गया था जो मुझे रास्ते में गिरा हुआ मिला था. उस भिखारी ने वह पत्र मुझ से छीन लिया.

पत्र? किस का पत्र था? किस ने लिखा था? उसमें क्या लिखा था? उसने चीखती हुई आवाज़ में पूछा.

पत्र दुर्गा सिंह के लिए था पर उसमें क्या लिखा था मुझे नहीं पता. पत्र बंद लिफ़ाफ़े में था. रजत ने आधा सच, आधा झूठ कहा.

तुम झूठ बोल रहे हो, तुम ने पत्र पढ़ा था, मैंने तुम्हें पत्र पढ़ते हुए देखा था. बताओ उसमें क्या लिखा था?”

बूढ़े की यह बात सुन रजत समझ गया कि वह झूठ बोल रहा था. वह सिर्फ उसे डराने के लिए यह बात कह रहा था.

नहीं, मैं सच कह रहा हूँ. मैंने पत्र खोला भी नहीं था,” रजत ने बिना घबराए हुए कहा.

तुम चाँदनी महल के अंदर क्यों गये थे? किसने भेजा था तुम्हें? बोलो? बूढ़े ने धमकाते हुए रजत से पूछा.

रजत को समझ रहा था कि वह किस प्रकार इस मुसीबत से बाहर निकल पायेगा. तभी उसने एक पुलिस जीप को उधर आते हुए देखा.

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 ©आइ बी अरोड़ा

 

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