मनु अपने कमरे में
बैठा पढ़ रहा था. पर पढ़ने में उसका मन न लग रहा था. आँखें पुस्तक पर थीं पर मन कहीं
ओर था.
उसकी मां वाशिंग
मशीन में कपड़े धो रही थी. अचानक वाशिंग मशीन ने ज़ोर से छींक मारी. मनु को गुस्सा आ
गया. उसने माँ से कहा, “जब मैं पढ़ने बैठता हूँ यह मशीन छींकने लगती है. मुझे
बिलकुल अच्छा नहीं लगता.”
“जब तुम्हारी
पुस्तकें मुझ पर हंसने लगती हैं तब क्या होता है? क्या वह तुम्हें अच्छा लगता है?”
माँ ने कहा.
“मेरी पुस्तकों का
क्या दोष है? मैंने कितनी बार कहा है कि मेरी पुस्तकों को नीला रंग अच्छा नहीं
लगता, फिर भी आप नीले रंग के कपडे पहन कर मेरे कमरे आ जाती हैं, बस मेरी किताबें अपने को रोक
नहीं पाती और हंसने लगती हैं.”
“अरे क्या बात है?
अगर में हरे रंग के कपडे पहनूं तो तुम्हारे खिलौने नाराज़ हो जाते है......”
माँ की बात पूरी न
हो पाई. दूसरे कमरे से मनु के पापा ने कहा, “तुम लोगों का झगड़ा कब तक चलेगा? यहाँ
टीवी नाराज़ रहा है, तीन बार बिगड़ चुका है. मैं इसे क्या कहूँ?”
“उसे कहो थोड़ी देर
पार्क में खेल आये.” माँ ने कहा.
“नहीं माँ, टीवी को
पार्क में मत भेजो. पार्क में जाकर वह बहुत ऊधम मचाता है. पिछली बार उसने एक कार
का शीशा तोड़ दिया था.” मनु बोला.
“अच्छा तो यही होगा
कि तुम दोनों ही पार्क में जाकर अपना झगड़ा निपटा लो.” मनु के पापा ने थोड़ा गुस्से
से कहा.
मनु ने झट से अपनी
पुस्तकें उठाईं और जाने को तैयार हो गया. माँ ने एक थैले में कपडे और वाशिंग मशीन
रख ली. दोनों पार्क में आ गये.
पार्क में मनु एक
पेड़ के नीचे बैठ कर पढ़ने लगा. माँ ने पूछा, “मशीन कैसे चलेगी? बिजली का पॉइंट कहाँ
है?”
“इस पेड़ पर एक कछुए
का घर है. वहां बिजली का कोई पॉइंट होगा,” मनु ने कहा.
“तुम्हें कैसे पता
कि इस पेड़ पर कछुए का घर है?”
“उसने मुझे बताया
था, एक दिन, स्कूल में.”
“कछुआ तुम्हारे स्कूल में पढ़ता
है?”
“वह तो रात में
स्कूल जाता है, सोने के लिए. कह रहा था कि घर में उसे नींद नहीं आती. सारी रात
उसके घर के ऊपर हवाई जहाज़ उड़ते रहते हैं. शोर के कारण वह घर में सो नहीं पाता. रात भर मज़े से किसी क्लास-रूम में बेंच पर लेट कर सो जाता है.”
“उससे पूछो कि क्या
मैं उसके घर से बिजली ले सकती हूँ?”
“उसका घर तो बहुत
ऊपर है, मैं ऊपर कैसे जाऊं?” मनु ने पेड़ की ओर देखते हुए कहा.
“अपनी साइकिल पर
जाओ.”
मनु झटपट घर से अपनी
साइकिल ले आया और पेड़ के ऊपर चढ़ गया. वह
तुरंत लौट भी आया.
“कछुआ कह रहा है कि
मुझ से क्यों पूछते हो, मैं यहाँ रहता हूँ पर यह घर मेरा नहीं है,” मनु ने कहा.
तभी कछुए ने ऊपर से
ही चिल्ला कर कहा, “मैं तो मज़ाक कर रहा था. अपनी वाशिंग मशीन यहाँ लगा लो.”
मनु मशीन की तार
लेकर पेड़ के ऊपर गया और कछुए के घर में एक बिजली के पॉइंट पर उसे लगा दिया. मशीन
चलने लगी और मनु की माँ कपडे धोने लगी.
मनु कछुए से बातें
करने लगा. तभी वाशिंग मशीन ने छींक मारी. कछुआ डर से उछल पड़ा और पेड़ से नीचे आ
गिरा.
“यहाँ कुत्ता कौन ले
कर आया है? इस पार्क में कुत्ते लाने की अनुमति नहीं है.” कछुए ने थोड़ा गुस्से से कहा.
“यहाँ तो कोई कुत्ता
नहीं है,” मनु की माँ ने कहा.
“आपने कुत्ते को
कहीं छिपा दिया है. मैंने अभी-अभी कुत्ते के भौंकने की आवाज़ सुनी थी. अभी पिछले
वर्ष ही ऐसा हुआ था. एक जोकर एक कुत्ता ले कर आ गया था. कुत्ता भौंकने लगा और ठीक
मेरे घर के ऊपर एक वायुयान के सारे शीशे टूट गये थे,” कछुआ घबराहट में बहुत
तेज़-तेज़ बोल रहा था.
“फिर क्या हुआ?” मनु
ने पूछा. उसे कछुए की बातों में मज़ा आ रहा था.
“होना क्या था? दो
दिन तक वह वायुयान मेरे घर के ऊपर ही खड़ा रहा और दो दिनों तक मुझे सभी यात्रियों
की सेवा करनी पड़ी. इस महान कार्य के लिए मुझे सरकार की ओर से कोई मैडल या
पुरूस्कार भी नहीं मिला. उसी दिन मैंने पार्क में कुत्तों को लाने पर रोक लगवा दी
थी. जब तक सरकार मेरा सम्मान नहीं करती तब तक यह रोक लगी रहेगी.”
“अरे, यह तो मेरी
वाशिंग मशीन है, यह कभी-कभी छींक मार देती है,” मनु की माँ ने कहा.
“क्या आप अपनी
वाशिंग मशीन को सही समय पर चाय या कॉफ़ी नहीं पिलातीं?” कछुए ने पूछा.
“क्या तुम मुझे
बुद्धू समझते हो?” माँ ने कछुए से कहा.
“आप मेरी बात नहीं
समझ रहीं, अगर आप मशीन को सही समय पर चाय, कॉफ़ी पिलाएँगी तो मशीन कभी भी छींक न
मारेगी.”
मनु को उन दोनों की बातों में बिलकुल मज़ा न आ रहा था, वह सोच रहा था कि अगर कोई हवाई जहाज़ अभी इस पेड़ के ऊपर आकर रुक जाये तो कितना अच्छा होगा. अपनी साइकिल पर बैठ वह सीधा पेड़ पर चढ़ जायेगा और उस हवाई जहाज़ के अंदर चला जाएगा.
वह अपनी सोच में
इतना मग्न हो गया था की उसे पता ही न चला की माँ उससे कुछ कह रहीं थीं.
“तुम पढ़ रहे हो या दिन
में सपने देख रहे हो,” मां ने थोड़ा झकझोर कर कहा.
मनु नींद से
जागा. वह अपने स्टडी टेबल पर ही बैठा था. माँ को देख वह मंद-मंद मुस्कुरा दिया.
© आइ बी अरोड़ा
No comments:
Post a Comment