Wednesday, 3 September 2014

लोमड़ी भूली सब शैतानी
जंगल में रहता था इक हाथी
उसका था न कोई साथी
सदा अकेला रहता था वो
किसी को कुछ न कहता था वो
इक लोमड़ी को सूझी शैतानी
हाथी की सूंड काटने की ठानी
हाथी सोया था आँख मूंदकर
पत्तों की शीतल छाया लेकर
लोमड़ी हौले से आगे आई
आकर सूंड पर जीभ फेराई
हाथी देख रहा था सपना
सपने में भी था चौकन्ना
लोमड़ी ने की न कोई खटपट
    पर हाथी ने सुन ली आहट    
बस, हाथी को गुस्सा आया
पकड़ लोमड़ी को चपत लगाया
 ज़ोर से खींचे उसके कान
मुहं में आये उसके प्राण
                        लोमड़ी भूली सब शैतानी
    आँखों से उसके बरसा पानी.  
© आई बी अरोड़ा



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