भालू की थी यह मजबूरी
नाक थी उसकी भूरी-भूरी
आँखें थी कुछ पीली-पीली
साँसें थीं कुछ गीली-गीली
बारिश में था भीगा-भीगा
मन था उसका खीजा-खीजा
करना चाहता था वो आराम
उसे लग गया था ज़ुकाम
©आइ बी अरोड़ा
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