“पत्थर
का योद्धा” अंतिम भाग
(बच्चों के लिए लंबी कहानी)
ब्राशिया
का राजा प्रसन्नता से मुस्कुराया. उसने कहा, ‘कल
सूर्य उदय होते ही हम आक्रमण करेंगे और विजयी हो कर लौटेंगे.’
युद्ध
शुरू
हुआ. तलाविया
की सेना युद्ध के लिए पूरी तरह तैयार थी. गुप्तचरों से पहले ही सूचना
मिल चुकी थी कि ब्राशिया के सेना निकट के वन में छिपी हुई थी. उन्हें
ज़रा भी घबराहट न थी कि शत्रु की सेना बड़ी थी. तलाविया
के सेना ने बहादुरी से शत्रु का सामना किया.
राजा यंगहार्ज़
के आदेश पर ब्राशिया के दो गुप्तचर ज़ोरान की मूर्ती पर अपने नजरें गड़ाये बैठे थे. उनको
आदेश था कि अगर मूर्ती जीवित हो गई या गायब हो गई तो राजा को तुरंत सूचित किया
जाये. दोनों
गुप्तचर पूरी तरह सतर्क थे और बिना पलकें झपकाये मूर्ती को देख रहे थे.
लड़ाई
के मैदान में भीषण युद्ध हो रहा था. अचानक एक भयंकर चीख की आवाज़
आई. दोनों
गुप्तचरों ने एक साथ लड़ाई के मैदान की ओर देखा. पर
अगले ही पल उन्होंने अपनी आँखें ज़ोरान की मूर्ती की ओर घुमा दीं. मूर्ती
अपनी जगह पर न थी, वह लुप्त हो चुकी थी.
ब्राशिया
के सैनिकों ने अचानक पत्थर के योद्धा को युद्ध के मैदान में पाया. अपने शानदार
युधवेश में वह बहुत ही भयानक लगा रहा था. युद्ध स्थल में प्रगट होते
ही उसने एक ज़ोर की हुंकार लगाईं थी; ऐसी हुंकार जिसे सुन कर
बहादुर से बहादुर सैनिक का खून भी डर से जम गया.
ब्राशिया
के हर सैनिक ने उस ओर आँखें घुमाईं जहां ज़ोरान की मूर्ती खड़ी थी. सब ने
देखा कि मूर्ती गायब थी. सब भयभीत हो गये. उन्हें
विश्वास ही गया की पत्थर की मूर्ति जीवित होकर
युद्ध करने युद्ध-स्थल आ पहुँची थी. वह सब भयभीत हो गये.
पत्थर
का योद्धा उन पर टूट पड़ा. एक विशाल मस्त हाथी की तरह वह युद्ध के मैदान
में घूम रहा था और शत्रु सैनिकों को कुचलता जा रहा था. कितने
ही सैनिक घायल हो गये, कितने ही मारे गये. एक ही
वार से वह बड़े से बड़े योद्धा को ऐसे मार गिरता था जैसे कि वह कागज़ की कठपुतली हो. ब्राशिया
के सैनिक युद्ध स्थल से भागने लगे.
‘मार
डालेगा, पत्थर का योद्धा सब को मार डालेगा, भागो-भागो, अपनी
जान बचाओ,’ ब्राशिया के सैनिक चिल्ला-चिल्ला
कर एक-दूसरे
को कह रहे थे.
ब्राशिया
के राजा ने सैनिकों को पुकार कर कहा, ‘रुको, कायरों
की तरह मत भागो. लौट आओ और वीरों की भांति लड़ो. तुम
सब महान योद्धा हो, तुम ने कितनी लड़ाइयाँ लड़ी और जीती हैं. आगे
आओ और महान वीरों के समान लड़ो.’
‘महाराज, हम मनुष्यों
से लड़ सकते हैं, परन्तु हम एक पत्थर के योद्धा से नहीं लड़ सकते. न हम
उसे घायल कर सकते हैं, न ही हम उसे मार सकते हैं. पत्थर
के योद्धा से लड़ना पागलपन है,’ एक सैनिक ने चिल्ला कर राजा से कहा.
तलाविया
की सेना जीत गई. सारे देश में इस जीत का जश्न मनाया गया.
तलाविया
के राजा ने हर सैनिक का स्वयं सम्मान किया, पत्थर के योद्धा का भी राजा
ने सम्मान किया.
‘महाराज, आपने मुझे
तलाविया का एक गुप्त शस्त्र बना दिया है. हर कोई मुझ से डरता है. पर
इससे मुझे कोई प्रसन्नता नहीं मिलती. मैं तो एक साधारण सैनिक हूँ
और एक साधारण
सैनिक की भांति युद्ध में भाग लेना चाहता हूँ,’
पत्थर के योद्धा ने कहा- वह कोई और नहीं ज़ोरान ही था.
‘ज़ोरान, मैं
तुम्हारी बात समझता हूँ. पर हमें लगता है कि अब लंबे समय तक हमें कोई
लड़ाई लड़नी ही न पड़ेगी. गुप्तचरों से सूचना मिली है कि हर कोई पत्थर के
योद्धा से भयभीत है. कोई भी पत्थर के योद्धा का सामना नहीं करना चाहता. हमारा
विश्वास है कि अब हमारे देश में शान्ति रहेगी.’
फिर
राजा ने पास खड़े अपने डॉक्टर से कहा, ‘हम तो समझते थे की आप सिर्फ
एक अच्छे डॉक्टर हैं, आपने ज़ोरान को बचा कर चमत्कार तो किया ही, पर
पत्थर के योद्धा की योजना बना कर आपने उससे भी बड़ा चमत्कार किया.’
राजा
के डॉक्टर ने ही पत्थर के योद्धा की बात सोची थी. सब
यही समझ रहे थे कि ज़ोरान की युद्धस्थल में मृत्यु हो गई थी. लेकिन डॉक्टर ने जांच
कर पाया था कि ज़ोरान जीवित था, अनेक घावों और बहुत सारा खून
बह जाने के कारण वह गहरी बेहोशी में था. उसका इलाज करने के लिए डॉक्टर
उसे अपने अस्पताल ले आया था.
कोई न
जान पाया था कि ज़ोरान जीवित था और उसका इलाज हो रहा था. धीरे-धीरे
उसके घाव ठीक होने लगे थे. पर उसके स्वस्थ होने की बात
गुप्त रखी गई थी.
उधर
सीमा पर ज़ोरान की मूर्ती स्थापित कर दी गई. राज्य के गुप्तचरों ने हर ओर
यह बात फैला दी कि ज़ोरान मर चुका था. लेकिन कुछ गुप्तचर यह बात भी
फैला रहे थे कि ज़ोरान जीवित था और स्वयं सीमा की निगरानी कर रहा था. तलाविया
के शत्रु समझ न पा रहे थे की सच क्या था.
जहां
ज़ोरान की मूर्ती लगाईं गई थी वहां मूर्ती के नीचे, एक
गुप्त तहखाना था. तहखाने में एक यंत्र रखा हुआ था.
मूर्ति को यंत्र द्वारा नीचे तहखाने में छिपाया जा सकता था. मूर्ती
के गायब होते ही ज़ोरान युद्ध-स्थल पर प्रगट हो जाता था.
वीलियन
की टुकड़ी ने जब आक्रमण किया था तब ज़ोरान चालाकी से युद्ध लड़ने आ गया था. शत्रु
सैनिक समझने लगे थे कि किसी जादुई शक्ति से मूर्ती जीवित ही गई थी और उनसे लड़ रही
थी. दूसरी
बार जब ब्राशिया के राजा ने हमला किया तब भी वैसे ही, मूर्ति
को छिपा, ज़ोरान लड़ने आ पहुंचा था. तब
भी शत्रु सैनिकों ने समझा था कि पत्थर का योद्धा उन से लड़ रहा था.
‘आपकी
योजना बहुत सफल रही, पत्थर के योद्धा ने सभी शत्रुओं को इतना भयभीत
कर दिया है कि अब कोई भी हम पर हमला करने का साहस न करेगा.,’ राजा
ने अपने डॉक्टर से कहा.
फिर
ज़ोरान की पीठ थपथपाते हुए राजा ने कहा, ‘ज़ोरान तुम एक महान योद्धा हो. हमें
तुम पर गर्व है.’
‘महाराज, अब
मेरे लिए क्या आदेश है? ज़ोरान ने पूछा.
“अपने
माता-पिता
के पास जाओ. वह भी समझे बैठें हैं कि तुम्हारी मृत्यु हो
चुकी है, उनके पास जाओ, उनके
साथ रहो. अगर कभी हमें तुम्हारी आवश्यकता हुई तो हम
तुम्हें बुला भेजेंगे. लेकिन तुम जब भी युद्ध के मैदान में जाओगे तो
पत्थर का योद्धा बन कर ही जाओगे.’
राजा
ने उसे बहुत सारा धन और कई उपहार दिए. उसके माता-पिता
उस देख कर फूले न समाये .
ब्राशिया
के राजा को बंधी बना लिया गया था.
ब्राशिया
के राजा ने आश्वासन दिया कि वह शत्रुता छोड़ देगा. तलाविया
के राजा ने उसे उसका राज्य लौटा दिया.
वर्षों
तक किसी भी शत्रु ने तलाविया पर आक्रमण न किया, हर
कोई पत्थर के योद्धा से डरता जो था.
(समाप्त)