Sunday, 5 December 2021

 

पत्थर का योद्धाअंतिम भाग

                            (बच्चों के लिए लंबी कहानी) 

ब्राशिया का राजा प्रसन्नता से मुस्कुराया. उसने कहा, ‘कल सूर्य उदय होते ही हम आक्रमण करेंगे और विजयी हो कर लौटेंगे.’

युद्ध शुरू हुआ. तलाविया की सेना युद्ध के लिए पूरी तरह तैयार थी. गुप्तचरों से पहले ही सूचना मिल चुकी थी कि ब्राशिया के सेना निकट के वन में छिपी हुई थी. उन्हें ज़रा भी घबराहट न थी कि शत्रु की सेना बड़ी थी. तलाविया के सेना ने बहादुरी से शत्रु का सामना किया.

राजा यंगहार्ज़ के आदेश पर ब्राशिया के दो गुप्तचर ज़ोरान की मूर्ती पर अपने नजरें गड़ाये बैठे थे. उनको आदेश था कि अगर मूर्ती जीवित हो गई या गायब हो गई तो राजा को तुरंत सूचित किया जाये. दोनों गुप्तचर पूरी तरह सतर्क थे और बिना पलकें झपकाये मूर्ती को देख रहे थे.

लड़ाई के मैदान में भीषण युद्ध हो रहा था. अचानक एक भयंकर चीख की आवाज़ आई. दोनों गुप्तचरों ने एक साथ लड़ाई के मैदान की ओर देखा. पर अगले ही पल उन्होंने अपनी आँखें ज़ोरान की मूर्ती की ओर घुमा दीं. मूर्ती अपनी जगह पर न थी, वह लुप्त हो चुकी थी.

ब्राशिया के सैनिकों ने अचानक पत्थर के योद्धा को युद्ध के मैदान में पाया. अपने शानदार युधवेश में वह बहुत ही भयानक लगा रहा था. युद्ध स्थल में प्रगट होते ही उसने एक ज़ोर की हुंकार लगाईं थी; ऐसी हुंकार जिसे सुन कर बहादुर से बहादुर सैनिक का खून भी डर से जम गया.

ब्राशिया के हर सैनिक ने उस ओर आँखें घुमाईं जहां ज़ोरान की मूर्ती खड़ी थी. सब ने देखा कि मूर्ती गायब थी. सब भयभीत हो गये. उन्हें विश्वास ही गया की पत्थर की मूर्ति जीवित होकर  युद्ध करने युद्ध-स्थल आ पहुँची थी. वह सब भयभीत हो गये.

पत्थर का योद्धा उन पर टूट पड़ा. एक विशाल मस्त हाथी की तरह वह युद्ध के मैदान में घूम रहा था और शत्रु सैनिकों को कुचलता जा रहा था. कितने ही सैनिक घायल हो गये, कितने ही मारे गये. एक ही वार से वह बड़े से बड़े योद्धा को ऐसे मार गिरता था जैसे कि वह कागज़ की कठपुतली हो. ब्राशिया के सैनिक युद्ध स्थल से भागने लगे.

मार डालेगा, पत्थर का योद्धा सब को मार डालेगा, भागो-भागो, अपनी जान बचाओ,’ ब्राशिया के  सैनिक चिल्ला-चिल्ला कर एक-दूसरे को कह रहे थे.

ब्राशिया के राजा ने सैनिकों को पुकार कर कहा, ‘रुको, कायरों की तरह मत भागो. लौट आओ और वीरों की भांति लड़ो. तुम सब महान योद्धा हो, तुम ने कितनी लड़ाइयाँ लड़ी और जीती हैं. आगे आओ और महान वीरों के समान लड़ो.’

महाराज, हम मनुष्यों से लड़ सकते हैं, परन्तु हम एक पत्थर के योद्धा से नहीं लड़ सकते. न हम उसे घायल कर सकते हैं, न ही हम उसे मार सकते हैं. पत्थर के योद्धा से लड़ना पागलपन है,’ एक सैनिक ने चिल्ला कर राजा  से कहा.

तलाविया की सेना जीत गई. सारे देश में इस जीत का जश्न मनाया गया.

तलाविया के राजा ने हर सैनिक का स्वयं सम्मान किया, पत्थर के योद्धा का भी राजा ने सम्मान किया.

महाराज, आपने मुझे तलाविया का एक गुप्त शस्त्र बना दिया है. हर कोई मुझ से डरता है. पर इससे मुझे कोई प्रसन्नता नहीं मिलती. मैं तो एक साधारण सैनिक हूँ और एक साधारण सैनिक की भांति युद्ध में भाग लेना चाहता हूँ,’ पत्थर के योद्धा ने कहा- वह कोई और नहीं ज़ोरान ही था.

ज़ोरान, मैं तुम्हारी बात समझता हूँ. पर हमें लगता है कि अब लंबे समय तक हमें कोई लड़ाई लड़नी ही न पड़ेगी. गुप्तचरों से सूचना मिली है कि हर कोई पत्थर के योद्धा से भयभीत है. कोई भी पत्थर के योद्धा का सामना नहीं करना चाहता. हमारा विश्वास है कि अब हमारे देश में शान्ति रहेगी.’ 

फिर राजा ने पास खड़े अपने डॉक्टर से कहा, ‘हम तो समझते थे की आप सिर्फ एक अच्छे डॉक्टर हैं, आपने ज़ोरान को बचा कर चमत्कार तो किया ही, पर पत्थर के योद्धा की योजना बना कर आपने उससे भी बड़ा चमत्कार किया.’

राजा के डॉक्टर ने ही पत्थर के योद्धा की बात सोची थी. सब यही समझ रहे थे कि ज़ोरान की युद्धस्थल में मृत्यु हो गई थी. लेकिन डॉक्टर ने जांच कर पाया था कि ज़ोरान जीवित था, अनेक घावों और बहुत सारा खून बह जाने के कारण वह गहरी बेहोशी में था. उसका इलाज करने के लिए डॉक्टर उसे अपने अस्पताल ले आया था.

कोई न जान पाया था कि ज़ोरान जीवित था और उसका इलाज हो रहा था. धीरे-धीरे उसके घाव ठीक होने लगे थे. पर उसके स्वस्थ होने की बात गुप्त रखी गई थी.

उधर सीमा पर ज़ोरान की मूर्ती स्थापित कर दी गई. राज्य के गुप्तचरों ने हर ओर यह बात फैला दी कि ज़ोरान मर चुका था. लेकिन कुछ गुप्तचर यह बात भी फैला रहे थे कि ज़ोरान जीवित था और स्वयं सीमा की निगरानी कर रहा था. तलाविया के शत्रु समझ न पा रहे थे की सच क्या था.

जहां ज़ोरान की मूर्ती लगाईं गई थी वहां मूर्ती के नीचे, एक गुप्त तहखाना था. तहखाने में एक यंत्र रखा हुआ था. मूर्ति को यंत्र द्वारा नीचे तहखाने में छिपाया जा सकता था. मूर्ती के गायब होते ही ज़ोरान युद्ध-स्थल पर प्रगट हो जाता था.

वीलियन की टुकड़ी ने जब आक्रमण किया था तब ज़ोरान चालाकी से युद्ध लड़ने आ गया था. शत्रु सैनिक समझने लगे थे कि किसी जादुई शक्ति से मूर्ती जीवित ही गई थी और उनसे लड़ रही थी. दूसरी बार जब ब्राशिया के राजा ने हमला किया तब भी वैसे ही, मूर्ति को छिपा, ज़ोरान लड़ने आ पहुंचा था. तब भी शत्रु सैनिकों ने समझा था कि पत्थर का योद्धा उन से लड़ रहा था.

आपकी योजना बहुत सफल रही, पत्थर के योद्धा ने सभी शत्रुओं को इतना भयभीत कर दिया है कि अब कोई भी हम पर हमला करने का साहस न करेगा.,’ राजा ने अपने डॉक्टर से कहा.

फिर ज़ोरान की पीठ थपथपाते हुए राजा ने कहा, ‘ज़ोरान तुम एक महान योद्धा हो. हमें तुम पर गर्व है.’

महाराज, अब मेरे लिए क्या आदेश है? ज़ोरान ने पूछा.

अपने माता-पिता के पास जाओ. वह भी समझे बैठें हैं कि तुम्हारी मृत्यु हो चुकी है, उनके पास जाओ, उनके साथ रहो. अगर कभी हमें तुम्हारी आवश्यकता हुई तो हम तुम्हें बुला भेजेंगे. लेकिन तुम जब भी युद्ध के मैदान में जाओगे तो पत्थर का योद्धा बन कर ही जाओगे.’

राजा ने उसे बहुत सारा धन और कई उपहार दिए. उसके माता-पिता उस देख कर फूले न समाये .

ब्राशिया के राजा को बंधी बना लिया गया था.

ब्राशिया के राजा ने आश्वासन दिया कि वह शत्रुता छोड़ देगा. तलाविया के राजा ने उसे उसका राज्य लौटा दिया.

वर्षों तक किसी भी शत्रु ने तलाविया पर आक्रमण न किया, हर कोई पत्थर के योद्धा से डरता जो था.

(समाप्त)

भाग 13

Thursday, 2 December 2021

 

पत्थर का योद्धाभाग 13

                             (बच्चों के लिए लंबी कहानी) 

कुछ भी करने से पहले वीलीयन इस सूचना को अच्छी तरह से परख लेना चाहता था. वह स्वयं जांच करने निकला. उसने पूरी सावधानी बरती. बड़ी चालाकी से वह उस जगह आया जहां ज़ोरान खड़ा सीमा की निगरानी कर रहा था. निकट आने में उसे डर लग रहा था, पर जान हथेली पर रख वह पास आया. जब उसने ज़ोरान को छुआ तो उसकी ख़ुशी का ठिकाना न रहा. वहां ज़ोरान नहीं था, एक पत्थर की मूर्ति थी.

प्रसन्नता से वह झूम उठा. उसने तुरंत वापस लौट अपने राजा को यह सूचना देने की बात सोची.

वह इस बात से अंजान था कि तलाविया के बिछाए हुए जाल में वह फंस गया था. जिस सैनिक ने चरवाहे को यह सूचना दी थी वह तलाविया का एक गुप्तचर था.

 महाराज, ज़ोरान मर चुका है. मैंने तो पहले ही यह सूचना आपको दे दी थी. सीमा पर उसकी मूर्ति खड़ी है. मुझे पता लगा है कि ज़ोरान की मृत्यु से तलाविया सेना घबराई हुई है. सेना का साहस बढाने के लिए ही तलाविया के राजा ने हमें भ्रमित करने के लिए सीमा पर ज़ोरान की मूर्ति स्थापित करवाई है. यह एक चाल हैं और और हम उनकी चाल में फंस गये. मेरे विचार में यही समय है जब हम उन्हें हरा सकते हैं और उनसे बदला ले सकते हैं,’ वीलीयन ने बड़े आत्मविश्वास के साथ ने राजा से कहा.

राजा कुछ सोच कर बोले, ‘हम हमला करेंगे, परन्तु इस बार हम बड़ी सेना नहीं भेजेंगे. तुम सौ सैनिक ले कर जाओ और उनकी पूर्वी चौकी पर दावा बोलो.’

वीलीयन इतने कम सैनिकों के साथ हमला करने से घबरा रहा था, परन्तु इस स्थिति से बचने का कोई उपाय उसे सुझाई न दे रहा था. सौ सैनिकों के साथ वह पूर्वी चौकी पहुंचा. सब निकट के जंगल में छिप गये. सैनिकों ने ज़ोरान की मूर्ती को देखा. एक सैनिक बोला, ‘यह ज़ोरान ही है, वह जीवित है. वह सीमा चौकी की रक्षा कर रहा है. हम उससे युद्ध नहीं कर सकते. ज़ोरान किसी को जीवित नहीं छोड़ता.’

मूर्खो की भांति मत बोलो, ध्यान से देखो, वह कोई आदमी नहीं, एक मूर्ती है. ज़ोरान मर चुका है,’ वीलीयन ने झल्ला कर कहा.

पर सैनिकों को विश्वास न हुआ. वह युद्ध करने से कतराने लगे.

दो लोग मेरे साथ आओ. मैं तुम्हें दिखाता हूँ कि सच क्या है.’

दो सिपाही साथ लेकर वीलीयन ज़ोरान की मूर्ती के निकट आया.

सिपाहियों ने स्वयं जांच कर सत्य जाना.

अरे, यह तो सच में पत्थर की एक मूर्ती है, ज़ोरान नहीं. ज़ोरान मर चुका है,’ एक ने कहा.

‘अब हमें किसी का भय नहीं, अब हमें कोई भय नहीं. हम इन कायरों को युद्ध में हरा देंगे. विजय हमारी होगी. अगर उनकी  चौकी पर हज़ार सैनिक भी हुए तब भी हम ही जीतेंगे. दूसरे ने कहा.

ब्राशिया के सैनिकों ने पूर्वी चौकी पर दावा बोल दिया, हमला अचानक हुआ था फिर भी तलाविया के सैनिक आश्चर्यचकित न हुए थे. वह इस आक्रमण के लिए तैयार थे. भीषण लड़ाई हुई. दोनों ओर के सैनिक पूरे उत्साह से लड़ रहे थे. कोई भी एक इंच पीछे हटने को तैयार न था.

तभी ब्राशिया के एक सैनिक ने ज़ोरान को अपने सामने खड़ा पाया. ज़ोरान का युद्ध-वेश बहुत ही शानदार और प्रभावशाली था. उसका चेहरा पत्थर की तरह कठोर था. उसकी आँखें क्रोध से लाल थीं. ब्राशिया के सैनिक के होश उड़ गये.

उसने उस ओर देखा जहां ज़ोरान की मूर्ती लगी थी. मूर्ती गायब थी. सैनिक को समझ न आया कि यह चमत्कार कैसे हुआ था. उसे लगा कि किसी जादुई शक्ति से मूर्ती जीवित हो गई थी. भय से वह सैनिक चिल्लाया, ‘पत्थर की मूर्ति लड़ने आ गई है.’

ब्राशिया के सभी सैनिकों ने अपने उस साथी की ओर देखा जो चिल्लाया था. सभी ने ज़ोरान को देखा, सभी ने एक साथ ज़ोरान की मूर्ती की ओर देखा. सभी ने देखा कि मूर्ती गायब थी. सभी ने समझा कि किसी जादुई शक्ति से मूर्ती जीवित हो गई थी. सभी भयभीत हो गये.

ज़ोरान ने शत्रु सैनिकों पर भयंकर हमला किया. देखते ही देखते सब तितर-बितर हो गये. कुछ मारे गये थे, अन्य बुरी तरह घायल हुए थे. सब अपनी जान बचाने को यहाँ-वहां भागने लगे.

भागते हुए कुछ सैनिकों ने पीछे मुड़ कर देखा. ज़ोरान की मूर्ती तो अपनी जगह ही स्थापित थी. सब भौंचक्के रह गये. क्या हुआ था, उन्हें समझ ही न आया.

लगता है मृत्यु के बाद ज़ोरान एक पत्थर का योद्धा बन गया है. जब हमने चौकी पर हमला किया तब वह पत्थर की मूर्ती था, पर अचानक वह युद्ध स्थल में आ गया और हमसे लड़ने लगा.’ एक सैनिक ने कहा.

हमारे वहां से भागते ही वह फिर पत्थर की मूर्ती बन गया है. परन्तु कैसे? पत्थर की कोई मूर्ति लड़ कैसे सकती है?’ दूसरे सैनिक ने कहा.

अवश्य ही किसी जादुई शक्ति से ऐसा हो रहा है,’ तीसरे सैनिक ने कहा.

अवश्य ही कोई जादूगर उनकी सहायता कर रहा है,’ पहले ने कहा.

कोई मनुष्य नहीं, पत्थर का योद्धा हमसे लड़ रहा था,’ दूसरा चिल्लाया.

ऐसे पत्थर के योद्धा को हराना असंभव है,’ तीसरे ने कहा.

चारों ओर यह बात फ़ैल गई कि मृत्यु के बाद ज़ोरान एक पत्थर का योद्धा बन गया था.

ब्राशिया के राजा यंगहार्ज़ को इस कहानी पर विश्वास न हुआ. उसने चिल्ला कर अपने सैनिकों से कहा, ‘तुम सब हार कर आये हो और अब मुझे एक मनगढंत कहानी सुना रहे हो. क्या कोई आदमी पत्थर की मूर्ती बन सकता है? क्या कोई पत्थर की मूर्ती आदमी बन सकती है? क्या पत्थर की मूर्ती युद्ध कर सकती है? तुम सब कायर हो, तुम सब को मृत्यु दंड मिलेगा.’

लेकिन जब हर सैनिक ने वही कहानी सुनाई तो उसे कुछ संदेह होने लगा. इस बार राजा ने तय किया कि वह स्वयं हमला करेगा. आठ सौ चुने हुए सैनिकों के साथ राजा पूर्वी चौकी की ओर आया.

चौकी के दक्षिण में जो वन था उस वन में सेना ने अपना शिविर बनाया. राजा ने अपने विश्वस्त गुप्तचर सारी जानकारी प्राप्त करने के लिए भेजे.

अगले दिन गुप्तचरों ने बताया की तलाविया की चौकी में कोई सौ सैनिक थे, ज़ोरान चौकी में न था, उसकी मृत्यु हो चुकी थी. चौकी के निकट उसकी मूर्ती लगी थी.

महाराज, हमनें पूरी तरह जांच कर ली है. तलाविया वालों ने पत्थर की मूर्ती वहां स्थापित कर रखी है. मूर्ती इतनी अच्छी बनी है कि उसे देख कर हर किसी को भ्रम हो जाता है कि स्वयं ज़ोरान खड़ा है और सीमा की निगरानी कर रहा है. वह पत्थर की मूर्ती कभी जीवित नहीं हो सकती. न ही वह मूर्ती वहां से हटाई जा सकती है. ऐसा लगता है कि तलाविया वालों ने पिछली लड़ाई में कोई छल किया होगा. हमारे सैनिकों को लगा होगा कि मूर्ती जीवित हो कर युद्ध करने लगी थी. यह अवश्य ही शत्रु की कोई चाल थी. हमारे सैनिक उनकी चाल में फंस गये और डर कर मैदान छोड़ कर भाग खड़े हुए. अब सच हमारे सामने है. डरने की कोई आवश्यकता नहीं है. हमारी संख्या अधिक है. हमारे सैनिक बहादुर हैं और तलाविया से बदला लेने को आतुर हैं. हमारी जीत निश्चित है.’

भाग 12