Thursday, 1 December 2016


नटखट बन्दर 



इक बन्दर था थोड़ा नटखट

करता था वह हर दम खटपट,

सबको था वो खूब सताता

उसको था न कुछ आता-जाता,

इक दिन भालू से शर्त लगाई

और इक पेड़ से कूद लगाई,

दूजे पेड़ पर था उसको जाना

पर उसने था यह न जाना,

इक सांप था दूजे पेड़ पर

सोया था वह आँख मूंद कर,

बन्दर ने इक डाल को पकड़ा

सांप ने उसको झट से जकड़ा,

सांप था सोया उसी डाल पर

जिस पर कूदा था नटखट बन्दर

सांप देख कर वो चिल्लाया

सिर के बल वो नीचे आया

©आइ बी अरोड़ा